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मंगलवार, 8 अगस्त 2017

हिमालय वंदन ------------ कविता --

हिमालय -  वंदन   ----------- - कविता
सुना है हिमालय हो तुम !
सुदृढ़ , अटल और अविचल  
जीवन का विद्यालय हो तुम ! ! 

शिव के तुम्हीं कैलाश हो - 
माँ जगदम्बा का वास हो , 
निर्वाण हो महावीर का 
ऋषियों का चिर - प्रवास हो ; 
 ज्ञान  - भक्ति से भरा - 
बुद्ध का करुणालय हो तुम ! !

युगों से अजेय हो  
वीरों की विजय हो तुम , 
लालसा में शिखर की 
साहस का गन्तव्य हो तुम ; 
संघर्ष का उत्कर्ष हो  
नीति का न्यायालय हो तुम ! ! 

कवियों का मधुर गान हो  
मुरली की मीठी तान हो , 
शीतल उच्छवास  सृष्टि का 
राष्ट्र का अभिमान हो ; 
नभ के संदेशे बांटता - 
मेघों का पत्रालय हो तुम ! ! 

हिम - शिखरों से सजा 
माँ भारत का उन्नत भाल हो , 
टेढ़ी नजर से ताकते  
शत्रु का महाकाल हो ; 
 बसा भारत कण -कण में जिसके 
कश्मीर से मेघालय हो तुम ! ! 

सुदृढ़ , अटल और अविचल -
जीवन का विद्यालय हो तुम ! ! 
सुना है हिमालय हो तुम !!! 


चित्र ------- गूगल से साभार --   ----------------------------------------------------------------------------------------

अनमोल टिप्पणी -- गूगल से साभार --
जननी के हिम किरीट की अभ्यर्थना में गाये गए गीत की भाषा भी सागरमाथा की तरह दिव्य , विराट! आपकी लेखनी से भाव प्रवणता उसी कल कल गति से प्रवाहित हो रही है जैसे हिमालय की गोद से निःसृत गंगा! आपकी लेखनी की प्रांजलता अमर हो. बधाई!
  • amansingh charan's profile photo
    बहुत खूबसुरत कविता है, मित्र
    ----------------------------------------------------------------------------------

44 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 14 अगस्त 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय रेणु जी, हलचल पर आपकी इस उत्कृष्ट रचना को स्थान मिलने हेतु बधाई। मेरी अनंत शुभकामनाएँ। आप श्रेष्ठ रचनाकार बन कर उभरें।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय पुरुषोत्तम जी आपके शब्द प्रेरणा से भरे हैं -- हार्दिक आभार आपका |

      हटाएं
  3. बहुत ही लाजवाब ... मौन तपस्वी सा हिमालय ... उच्च उन्नत भाल प्रेरणा का स्त्रोत हिम शिखर देश का भाल है ... देवों का वास हिम आलय है ... बहुत ही उकृष्ट रचना है ...

    जवाब देंहटाएं
  4. हिमालय की महिमा बखान करती सुंदर पंक्तियाँ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरनीय अनीता जी -- आपके अनमोल शब्द प्रेरक हैं हार्दिक आभार आपका |

      हटाएं
  5. बहुत सुन्दर हिमालय बंदन.....
    लाजवाब प्रस्तुति....

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत खूब रेणुजी ! मेरी एक कविता की पंक्तियाँ आपके लिए....
    "तू चिर तापस, तू अडिग अचल
    मेरा मन अस्थिर, अज्ञानी,
    कुछ कुछ चंचल !
    तू शीतल स्नेह बहाए है
    आवाहन करे बुलाए है
    पर मैं ना जानूँ लक्ष्य कहाँ,
    शापित आत्मा सी दूर यहाँ
    मैं भोग रही अज्ञातवास !!!
    आना तेरे पास, हिमालय !
    आना तेरे पास !!!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय मीना जी ------- अभिभूत हूँ आपकी इस श्रेषठ काव्यात्मक टिप्पणी से जो मूल रचना से कहीं श्रेष्ठ है और इसके अधूरे भावों को पूरा करने में सक्षम है | सचमुच हिमालय का सबसे सुंदर रूप इसका तापस रूप है जिसकी कामना मोक्ष का द्वार है | बहुत आभारी हूँ आपने अपना अनमोल समय मेरे लिए भरपूर दिया |

      हटाएं
  7. उत्तर
    1. आदरणीय संजय जी आभारी आपकी -- जो आपने रचना पढ़ी

      हटाएं
  8. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 15 जुलाई 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    उत्तर
    1. आदरणीय दीदी -- आपके सहयोग की आभारी रहूंगी | सादर |

      हटाएं
  9. शानदार रचना

    शिव के तुम्ही कैलाश हो -
    माँ जगदम्बा का वास हो ,
    निर्वाण हो महावीर का --
    ऋषियों का चिर - प्रवास हो ;
    ज्ञान - भक्ति से भरा -
    बुद्ध का करुणालय हो तुम ! !

    जवाब देंहटाएं
  10. उत्तर
    1. आदरणीय ओंकार जी-- बहुत दिनों के बाद ब्लॉग पर आपके आने से बहुत ख़ुशी हुई |रचना पसंद करने के लिए सादर आभार आपका |

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  11. वाह रेनू बहन अतिउत्तम मन मे आह्लाद जगाती सिद्धत्व को प्रेरित करती पावन सुंदर रचना।
    हिम से आच्छादित दित ये पर्वत श्रृंखलाऐं
    मौन तपस्वियों सी आत्म चेतना के भाव जगाती
    हमारे देश भाल पर मुकुट सी सुशोभित ।

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    1. प्रिय कुसुम बहन -- आपकी स्नेह पगी पंक्तियों ने मेरी रचना को नया अर्थ दे दिया है | हिमालय को समर्पित इन भावपूर्ण पंक्तियों से रचना के विषय को विस्तार मिला है | हृदयतल से आभार आपका | सस्नेह |

      हटाएं
  12. वाह!!प्रिय बहन रेनू जी ,बहुत ही खूबसूरत शब्दों में हिमालय वंदन किया है आपने ...लाजवाब!!

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  13. हिम - शिखरों से सजा --
    माँ भारत का उन्नत भाल हो ,
    टेढ़ी नजर से ताकते -
    शत्रु का महाकाल हो ;
    कण -कण में बसा भारत जिसमे -
    कश्मीर से मेघालय हो तुम ! !

    आहा... बहुत ही सुंदर
    सुंदर बिम्ब

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    उत्तर
    1. आदरणीय लोकेश जी -- आपकी आहा से मन को कितनी ख़ुशी हुई लिख नहीं सकती | आप जैसे कलम के धनी रचनाकार के शब्द मेरे लिए अतुलनीय हैं | आभार नाही बस सादर नमन |

      हटाएं
  14. हिम - शिखरों से सजा --
    माँ भारत का उन्नत भाल हो ,
    टेढ़ी नजर से ताकते -
    शत्रु का महाकाल हो ;
    कण -कण में बसा भारत जिसमे -
    कश्मीर से मेघालय हो तुम ! !
    बहुत सुन्दर रचना रेनू जी ... बधाई

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    उत्तर
    1. आदरनीय वन्दना जी-- सादर आभार आपके निरंतर प्रोत्साहन का |

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  15. उत्तर
    1. आदरणीय शैल जी -- आपके अनमोल शब्दों के लिए हार्दिक आभार |

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    2. RPSMT 4D's profile photo
      RPSMT 4D
      कमाल लिखती हैं आप न सिर्फ रचनाएँ बल्कि किसी अन्य की रचनाओं पर प्रतिक्रिया स्वरूप जो दो शब्द लिखती हैं वो भी।
      आपकी मनभावन छवि बन गयी है मेरे मानस पटल पर।

      anuradha chauhan's profile photo
      anuradha chauhan
      +1
      हिमालय की बेहद खूबसूरत रचना
      32w

      Renu's profile photo
      Renu
      +1
      +RPSMT 4Dप्रिय अभिलाषा जी -- आपके स्नेह की आभारी हूँ | बस अपने मन से दूर कभी मत करना |
      32w

      Renu's profile photo
      Renu
      +1
      +प्रिय अनुराधा जी -- आभारी हूँ आपकी सराहना के लिए |
      RPSMT 4D's profile photo
      RPSMT 4D
      +Renu इतनी प्यारी हैं आप फिर सवाल ही नहीं उठता।

      हटाएं
  16. शिव के तुम्ही कैलाश हो -
    माँ जगदम्बा का वास हो ,
    निर्वाण हो महावीर का --
    ऋषियों का चिर - प्रवास हो ;
    ज्ञान - भक्ति से भरा -
    बुद्ध का करुणालय हो तुम ! !

    वाह.....
    लाजवाब सृजन

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    उत्तर
    1. प्रिय रविन्द्र जी -- आभारी हूँ आपने रूचि से रचना को पढ़ा और अपने अनमोल विचार दिए |

      हटाएं
  17. हिमालय सी महिमामयी शैली में ही हिमालय वंदना भी। वाह!

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    उत्तर
    1. आदरणीय विश्वमोहन जी -- आपके शब्द मेरे लिए सदैव ही प्रेरक रहे हैं | सादर आभार |

      हटाएं
  18. बहुत ही सुन्दर हिमालय की महिमा सखी 👌👌
    सादर

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  19. प्रिय अनीता -- आपके सुंदर शब्दों के लिए हार्दिक आभार |

    जवाब देंहटाएं
  20. उत्तर
    1. प्रिय नीतू आपका स्वागत और आभार | बहुत दिनों बाद आप ब्लॉग पर आई बहुत अच्छा लगा | सस्नेह -

      हटाएं
  21. आदरणीया मैम,
    बहुत बहुत बहुत........... सुंदर रचना। पढ़ कर मन आनंदित भी हुआ और श्रद्धा- भाव से भी भर गया। आपने हिमालय के बहुत ही विलक्षण रूप का दर्शन कराया जिसके लिये मेरे पास कोई भी टिप्पणी ऐसी नहीं है जो इस सुंदर अनुभव का वर्णन करे।
    माँ और नानी को भी पढ़ कर सुनाया। उन्हें भी बहुत सुंदर लगी। माँ कह रही थी यह कविता इतनी सुंदर है कि किसी विद्यालय की हिंदी के पाठ्य पुस्तक में इसका स्थान होना चाहिये।
    बहुत ही प्यारी रचना के लिये हृदय से आभार ।

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    उत्तर
    1. प्रिय अनंता , ये मेरे लिए अत्यंत गर्व की बात है कि तुम्हारे माध्यम से मेरी रचनाएँ तुम्हारी आदरणीय नानी जी और माँ ने भी सुनी | और हिमालय पर कुछ भी लिखना सूर्य को दीपक दिखाने के समान है |तुम्हें मेरा प्यार और आपकी नानी जी को मेरा सादर प्रणाम और आभार | आपकी मम्मी के लिए भी मेरा हार्दिक स्नेह और आभार |मेरी रचना से कहीं सुंदर तुम्हारे भोले- भाले शब्द हैं |

      हटाएं

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