पंजाब का लोकपर्व लोहड़ी मकर सक्रांति से ठीक एक या कभी - कभी दो दिन पहले आता है | ये पर्व पंजाब की जिन्दादिली से भरे जनजीवन को दर्शाता है .| इस दिन लोगों का उत्साह देखते ही बनता है | .अब तो पंजाब के साथ हरियाणा प्रान्त और देश के अन्य भागों के लोग भी लोहड़ी से ना सिर्फ परिचित हैं बल्कि इसे खूब मनाते भी हैं |
आग जलाकर उसके चारो तरफ पंजाबी गीतों की धुन पर भंगड़ा और गिद्दा डालते युवक और युवतियां अद्भुत नजारा प्रस्तुत करते हैं | खूब मस्ती के बाद लोग मूंगफली -- रेवड़ी बाँट कर अपनी ख़ुशी का इजहार करते हैं | लोहड़ी पर लोक नायक दुल्ला भट्टी का गीत '' सुंदर -- मुंदरिये हो '' लोहड़ी के गीत के रूप में गाया जाता है| दुला भट्टी ने खुद मुस्लिम होते हुए भी -- सुन्दर - मुन्दर नाम की दो हिन्दू बहनों को अत्याचारी मुग़ल सरदारों से छुडवा कर --उनकी शादी उनके पिता की पसंद की जगह करवा उनका घर बसाया था |वैसे कहा जाता है कि दुल्ला भट्टी बहुत ही बहादुर था जिसने महिलाओं की अस्मिता व सम्मान को बचाने लिए बहुत काम किये | उसे अपने समय का रोबिन हुड भी कहा जाता है |अपने इस नायक की याद में पंजाब में कई लोककथाएं प्रचलित हैं | सच तो यह है कि गुड से मीठा ये त्यौहार न केवल पंजाब बल्कि पंजाबियत का आईना है |