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मंगलवार, 27 फ़रवरी 2018

बसंत गान ------- कविता --

बसंत गान ------

 हँसो फूलो -- खिलो फूलो 
डाल-डाल पर झूलो फूलो !
उतरा फागुन मास धरा पर -
हर रंग ,रंग  झूमों  फूलो !!

गलियों में सुगंध फैलाओ,
भवरों पर मकरंद लुटाओ ;
भेजो  आमन्त्रण तितली को -
''कि बूंद - बूंद रस पी लो'' फूलो ! !

 हँसो   के नीम -आम बौराएँ -
खिलो  के कोकिल तान  चढ़ाए ,
 महको , महके रात  संग तुम्हारे 
 घुल पवन  संग  अम्बर  छूलो -फूलो !!


 बासंती अनुराग जगाओ ,
 सोये प्रीत के राग जगाओं ;
 हँसो  !हँसे नैना गोरी के -
 साजन  संग इन्हें पिरो लो फूलो  !!

धरा परिधान सजाये बहुरंगी,
नभ  इन्द्रधनुष सा हो सतरंगी ; 
तुमसे सब रंग  सजे सृष्टि में 
ये इक बात ना भूलो ! फूलो !!

 हँसो  !हँसे आँगन की क्यारी ,
खिलो  !खिले  भोर मतवाली ;
 महको !  समय  बहुत कम तेरा 
कुछ पल में  जीवन  जी लो फूलो !! 

चित्र -------- गूगल से साभार |

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