पूरा चाँद सखी फागुन का-- !
संग जगमग तारे
लगें बहुत ही प्यारे ;
सजा है आँगन
नीलगगन का !
सखी ! दूध सा चन्दा
दे मन आनंदा,
हरमन भाये ये
समां पूनम का !
कोई फगुवा गाये
तो पीहर याद आए,
झर - झर नीर
बहे नयनन का !
सखी ! अपलक निहारूँ
मैं तन - मन वारूँ ,
चाँद लगे साथी
कोई बचपन का !
चित्र ---- गूगल से साभार
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