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बुधवार, 28 फ़रवरी 2018

चाँद फागुन का ------- कविता -



बादल संग आँखमिचौली खेले 
पूरा चाँद सखी फागुन का-- !

संग जगमग तारे 
लगें बहुत ही प्यारे ; 
सजा है आँगन
 नीलगगन का  !

सखी ! दूध सा चन्दा 
दे मन आनंदा, 
हरमन भाये ये
 समां पूनम का !

कोई फगुवा गाये 
तो पीहर याद आए, 
झर - झर नीर 
बहे नयनन का  !

सखी ! अपलक निहारूँ 
मैं तन - मन वारूँ , 
 चाँद  लगे साथी
 कोई बचपन का !

चित्र ---- गूगल से साभार  



  

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