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शनिवार, 16 जून 2018

स्मृति शेष पिताजी ----- कविता

स्मृति  शेष  -- पिता  जी
 



कल थे पिता  आज नहीं है ,
माँ का अब वो राज नहीं है !

दुनिया के लिए इंसान थे वो ,
पर माँ के भगवान थे  वो !
बिन कहे उसके दिल तक जाती थी,
खो गई अब वो आवाज नहीं है ! 

माँ के सोलह सिंगार थे वो ,
माँ का पूरा संसार थे वो !
वो राजा थे - माँ रानी थी ,
छिन गया अब वो ताज नहीं है ! 

वो थे हम पर इतराने वाले ,
प्यार से सर सहलाने वाले !
उठा है जब से उनका साया ,
किसी को हम पर  नाज़ नहीं है
कल थे पिता पर आज नहीं है -
माँ का अब वो राज नहीं है!!! 


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