tag:blogger.com,1999:blog-1384928638569874312.post2654320059953787364..comments2024-03-08T21:11:45.990-08:00Comments on क्षितिज : सुनो बादल !--- कविता रेणुhttp://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comBlogger39125tag:blogger.com,1999:blog-1384928638569874312.post-46646378233654882732021-07-17T11:20:10.098-07:002021-07-17T11:20:10.098-07:00सस्नेह आभार प्रिय अमृता जी |सस्नेह आभार प्रिय अमृता जी |रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1384928638569874312.post-78793577642278251792021-07-17T11:19:51.812-07:002021-07-17T11:19:51.812-07:00सस्नेह आभार प्रिय दीदी | आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिय...सस्नेह आभार प्रिय दीदी | आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया ने रचना की शोभा बढ़ा दी |और हमारे यहाँ तो आ गया मौनसून| आने वाले एक -दो दिन में बादल बरसने की संभावना है | साद्र्र और सस्नेह|रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1384928638569874312.post-48158031206352312002021-07-17T11:17:22.948-07:002021-07-17T11:17:22.948-07:00सस्नेह आभार प्रिय मीना |सस्नेह आभार प्रिय मीना |रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1384928638569874312.post-57129037318980273492021-07-17T11:17:05.285-07:002021-07-17T11:17:05.285-07:00सस्नेह आभार प्रिय सुधा जी |सस्नेह आभार प्रिय सुधा जी |रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1384928638569874312.post-7425988804050743372021-07-17T11:16:45.818-07:002021-07-17T11:16:45.818-07:00सस्नेह आभार प्रिय जिज्ञासा जी |सस्नेह आभार प्रिय जिज्ञासा जी |रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1384928638569874312.post-40834764017094295812021-07-17T11:16:04.513-07:002021-07-17T11:16:04.513-07:00सादर आभार पम्मी जी |सादर आभार पम्मी जी |रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1384928638569874312.post-27183828075688693202021-07-13T08:02:41.622-07:002021-07-13T08:02:41.622-07:00गेय, प्रेय, काम्य ... अति सुन्दर सृजन ।गेय, प्रेय, काम्य ... अति सुन्दर सृजन ।Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1384928638569874312.post-73039610697155690512021-07-13T07:34:20.873-07:002021-07-13T07:34:20.873-07:00बादलों संग संवाद बहुत मनभावन लगा ।
तुम्हारी अंतही...बादलों संग संवाद बहुत मनभावन लगा ।<br /><br />तुम्हारी अंतहीन खोज में <br />क्या तुम्हें मिला साथी कोई ?<br />या फिर नाम तुम्हारे आई<br />प्यार भरी पाती कोई ?<br />क्या ठहर कभी मुस्काये हो<br />या रहते सदा यूँ ही विकल !!<br /><br />सोचा था कि बादल कल बरस ही जायेंगे हमारे इलाके में भी पर कहाँ ,बस विकल से घूमते निकल गए । आज आये थोड़ा रहम कर गए । <br />सुंदर रचना के लिए शुभकामनाएँ संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1384928638569874312.post-26726472175519014962021-07-12T11:33:06.039-07:002021-07-12T11:33:06.039-07:00सुंदर रचनासुंदर रचनाउषा किरणhttps://www.blogger.com/profile/14723538513393658010noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1384928638569874312.post-23578028172490765482021-07-12T11:09:55.110-07:002021-07-12T11:09:55.110-07:00उजले दिन काली रातों में
अनवरत घूमते रहते हो ,
उमड़...उजले दिन काली रातों में <br />अनवरत घूमते रहते हो ,<br />उमड़ - घुमड़ कहते जाने क्या <br />और किसको ढूंढते रहते हो ?<br />बरस पड़ते किसकी याद में जाने -<br /> सहसा नयन तरल !!<br />बहुत सुंदर संवाद है बादल से, प्रिय रेणु बहन। आपकी बहुत सुंदर रचनाओं में से एक है यह।Meena sharmahttps://www.blogger.com/profile/17396639959790801461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1384928638569874312.post-76212100552470993372021-07-12T08:40:05.894-07:002021-07-12T08:40:05.894-07:00मेघ तुम जग के पोषक
तुमसे सृष्टि पर सब वैभव ,
तुमसे...मेघ तुम जग के पोषक<br />तुमसे सृष्टि पर सब वैभव ,<br />तुमसे मानवता हरी - भरी <br />और जीवन बन जाता उत्सव ;<br />धरती का तपता दामन<br />तुम्हारे स्पर्श से होता शीतल !!<br />वाह!!!<br />बादलों का मानवीकरण!!!<br />इन आवारा बादलों से गुप्तगू बहुत ही मनभावन ...<br />लाजवाब सृजन।Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1384928638569874312.post-47243036039631768272021-07-12T06:54:06.421-07:002021-07-12T06:54:06.421-07:00मेघ तुम जग के पोषक
तुमसे सृष्टि पर सब वैभव ,
तुमसे...मेघ तुम जग के पोषक<br />तुमसे सृष्टि पर सब वैभव ,<br />तुमसे मानवता हरी - भरी <br />और जीवन बन जाता उत्सव ;<br />धरती का तपता दामन<br />तुम्हारे स्पर्श से होता शीतल !!... बादलों के प्रति सुंदर सप्तरंगी भाव प्रकट करती सुंदर रचना,मित्र सरीखा सरस संवाद मन मोह गया,बहुत शुभकामनाएँ प्रिय सखी।जिज्ञासा सिंह https://www.blogger.com/profile/06905951423948544597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1384928638569874312.post-57134767901911353252021-07-12T04:21:49.471-07:002021-07-12T04:21:49.471-07:00बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति।बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति।Pammi singh'tripti'https://www.blogger.com/profile/13403306011065831642noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1384928638569874312.post-15031890989450174062018-08-08T09:43:28.966-07:002018-08-08T09:43:28.966-07:00सस्नेह आभार प्रिय सलमान |
सस्नेह आभार प्रिय सलमान |<br />रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1384928638569874312.post-22842016139315593732018-08-08T09:07:02.886-07:002018-08-08T09:07:02.886-07:00बहुत ही सुंदर रचना।।
क्या ठहर कभी मुस्कुराये हो।।...बहुत ही सुंदर रचना।।<br /><br />क्या ठहर कभी मुस्कुराये हो।।। <br />गहराइयों को छूती हुई।।blogger salmanhttps://www.blogger.com/profile/12044354575826195886noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1384928638569874312.post-14125416877247687072018-08-07T07:22:05.584-07:002018-08-07T07:22:05.584-07:00🙏🙏🙏🙏🙏🙏अमित निश्छलhttps://www.blogger.com/profile/02115473188696836647noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1384928638569874312.post-61758958259701604992018-08-06T10:25:02.365-07:002018-08-06T10:25:02.365-07:00प्रिय ध्रुव --- सस्नेह आभार आपका |प्रिय ध्रुव --- सस्नेह आभार आपका |रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1384928638569874312.post-67609032915431052432018-08-06T10:24:21.849-07:002018-08-06T10:24:21.849-07:00 आदरणीय राकेश जी -- सादर आभार | आदरणीय राकेश जी -- सादर आभार |रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1384928638569874312.post-85717065753067294072018-08-06T10:22:00.722-07:002018-08-06T10:22:00.722-07:00प्रिय शशि भाई -- आपके स्नेहासिक्त शब्द मन को छू ज...प्रिय शशि भाई -- आपके स्नेहासिक्त शब्द मन को छू जाते हैं | सस्नेह आभार आपका |रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1384928638569874312.post-75755309391500956872018-08-06T05:03:48.651-07:002018-08-06T05:03:48.651-07:00आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ...आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' ०६ अगस्त २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/<br /><br /><br /><br /> टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।<br /><br /><br /><br />आवश्यक सूचना : रचनाएं लिंक करने का उद्देश्य रचनाकार की मौलिकता का हनन करना कदापि नहीं हैं बल्कि उसके ब्लॉग तक साहित्य प्रेमियों को निर्बाध पहुँचाना है ताकि उक्त लेखक और उसकी रचनाधर्मिता से पाठक स्वयं परिचित हो सके, यही हमारा प्रयास है। यह कोई व्यवसायिक कार्य नहीं है बल्कि साहित्य के प्रति हमारा समर्पण है। सादर 'एकलव्य'<br /><br /><br /><br />'एकलव्य'https://www.blogger.com/profile/13124378139418306081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1384928638569874312.post-50657241419041614872018-08-05T09:58:24.776-07:002018-08-05T09:58:24.776-07:00सुंदर भावाभिव्यक्ति .सुंदर भावाभिव्यक्ति .RAKESH KUMAR SRIVASTAVA 'RAHI'https://www.blogger.com/profile/14562043182199283435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1384928638569874312.post-2349905142671952412018-08-05T08:57:08.621-07:002018-08-05T08:57:08.621-07:00
तुम्हारी अंतहीन खोज में -
क्या तुम्हे मिला साथी क...<br />तुम्हारी अंतहीन खोज में -<br />क्या तुम्हे मिला साथी कोई ?<br />या फिर नाम तुम्हारे आई<br />प्यार भरी पाती कोई ?<br />क्या ठहर कभी मुस्काये हो<br />या रहते सदा यूँ ही विकल !!<br /><br />बहुत ही हृदयस्पर्शी<br /> इस बादल जैसे हम जैसे अनेक इंसान भी हैंं रेणु दी। प्रकृति के माध्यम से मन को छूने वाला है संदेश।व्याकुल पथिकhttps://www.blogger.com/profile/16185111518269961224noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1384928638569874312.post-32406613686620840332018-08-04T09:27:43.027-07:002018-08-04T09:27:43.027-07:00आदरणीय ओंकार जी - स्वागत है आपका | रचना पर आपकी प्...आदरणीय ओंकार जी - स्वागत है आपका | रचना पर आपकी प्रतिक्रिया के लिए सादर आभार |रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1384928638569874312.post-12610296298250093382018-08-04T09:26:44.983-07:002018-08-04T09:26:44.983-07:00आदरणीय सर -- आपके सहयोग की आभारी हूँ |आदरणीय सर -- आपके सहयोग की आभारी हूँ |रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1384928638569874312.post-73344727982467732572018-08-04T09:26:01.958-07:002018-08-04T09:26:01.958-07:00प्रिय अनुराधा जी -- सस्नेह आभार आपके निरंतर प्रोत्...प्रिय अनुराधा जी -- सस्नेह आभार आपके निरंतर प्रोत्साहन के लिए |रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.com