मेरी प्रिय मित्र मंडली

गुरुवार, 5 अक्तूबर 2017

ओ! शरद पूर्णिमा के शशि नवल !! ----------- कविता ----





तुम्हारी  आभा  का  क्या  कहना !
ओ! शरद पूर्णिमा के शशि नवल !!
कौतूहल हो तुम  सदियों से 
श्वेत , शीतल , नूतन धवल !!! 

 रजत रश्मियाँ  झर - झर  झरती ,
अवनि  - अम्बर     में  अमृत   भरती.
कौन न भरले  झोली  इनसे ? 
तप्त प्राण को  शीतल   करती ;
थकते ना नैन निहार तुम्हें 
तुम निष्कलुष , पावन   और निर्मल |
  ओ ! पूर्णिमा के शशि नवल !

तुमने रे ! महारास को देखा  
 सुनी मुरली मधुर  मोहन की ,
कौन  रे !  महाबडभागी  तुम  सा  ? 
तुम में   सोलह   कला    भुवन   की ;
  स्वर्ण  - थाल  सा रूप तुम्हारा  -
 अंबर का करता.  भाल   उज्जवल !

ओ!शरद पूर्णिमा के शशि नवल !

  ले  आती   शरद को हाथ  थाम -
निर्बंध  बहे  मधु  बयार ,
गोरी के  तरसे   नयन  पिया  बिन -
धीरज  पाते   तुझसे अपार ; 
तुझमे छवि पाती श्याम - सखा की 
खिल खिल  जाता  रे मन का  कमल !!
ओ शरद पूर्णिमा के शशि नवल !!!!!!!!









  


54 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूबसूरत रचना रेणु जी,चाँद के रूप सौंदर्य और राधा श्याम के मधुर रास का का मनोहारी चित्रण अद्भुत है।
    वाह्ह....अति सुंदर रचना रेणु जी।

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  2. गोरी के तरसे नयन पिया बिन -
    धीरज पाते तुझसे अपार ;
    तुझमे छवि पाती श्याम - सखा की
    खिल खिल जाता रे मन का कमल !!
    ओ शरद पूर्णिमा के शशि नवल !!!!!!!!

    चांद के मोहक रूप की अति सुंदर विवेचना की है आपने। बधाई।

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    1. आदरणीय पुरुषोत्तम जी -- आपके प्रेरणा से भरे शब्द बहुत मनोबल बढाते हैं | आभारी हूँ आपकी |

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  3. अति सुंदर रचना रेनू दी.आपने शरद पूर्णिमा के मनभावन रूप को शब्दों में कैद कर लिया. बहुत सुंदर. सादर

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    उत्तर
    1. प्रिय अपर्णा ----- आपका मेरे ब्लॉग पर आ मेरा उत्साहवर्धन करना - आपके अनन्य स्नेह का परिचायक है | सस्नेह आभार आपका |

      हटाएं
  4. कौन रे महा बड़भागी तुम सा -
    वाह शरद पूर्णिमा सी ही मनभावन रचना...
    वाह!!!

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    उत्तर
    1. आदरणीय सुधा जी ----- आपका मेरे ब्लॉग पर आने और रचना पसंद करने के लिए कोटिश आभार !!!!!!

      हटाएं
  5. वाह !
    बेहतरीन भावाभियक्ति।
    सुगढ़ ,सुन्दर ,उत्कृष्ट साहित्यिक कृति।
    भाव-सौंदर्य का कल-कल बहता झरना। मनमोहक रचना।
    बधाई एवं शुभकामनाएं आदरणीया रेणु जी।

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    1. आदरणीय रविन्द्र जी ---- आपके उत्साह से भरे प्रेरक शब्द मेरी रचना को सार्थक बनाते हैं | हार्दिक आभार आपका |

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  6. "शरद पूर्णिमा पर विशेष भावपूर्ण कविता। सुन्दर शब्द शिल्प ।"
    आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2017/10/38.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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  7. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार १६ अक्टूबर 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"

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  8. आदरणीया रेणु जी आपकी रचना की समीक्षा भी बहुत सोच -समझ के करनी पड़ती है और मैं क्या कहूँ ! अत्यंत ही सुन्दर एवं उत्कृष्ठ कृति। "एकलव्य"
    आपसे एक और अनुरोध है। आप अनुसरणकर्ता का उपकरण लगायें जिससे हमें आपकी नई रचना की सूचना प्राप्त हो सके। आभार "एकलव्य"
    आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार १६ अक्टूबर 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"

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    उत्तर
    1. प्रिय ध्रुव -----आप के स्नेह भरे शब्दों ने मेरी साधारण सी रचना को असाधारण सा बना दिया | आभारी हूँ आपके प्रयासों की | मैंने ब्लॉग में कुछ परिवर्तन किये हैं आशा है इनसे लाभ मिलेगा |कुछ कमी हो तो कृपया बताने का कष्ट करें | पुनः सस्नेह आभार |

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  9. बहुत ही सौम्य सुंदर रचना ! शरद की चाँदनी की तरह ही शीतलता दे रही है मन को । बहुत सुंदर !

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  10. उत्तर
    1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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    2. नीतू जी -- आपका अपने ब्लॉग पर हार्दिक स्वागत करती हूँ और आभारी हूँ अपने रचना पसंद की|

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  11. चाँदनी की तरह ही शीतलता बहुत ही खुबसूरत रचना...

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  12. प्रिय संजय ---हार्दिक आभार आपका |

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  13. शरद के चाँद की आभा ही कुछ और होती है ... प्रेम के भाव स्वत ही जाग उठते हैं इसके आगमन से ... और सुन्दर रचनाओप्न को जन्म देता हैं ...

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    1. आदरणीय दिगम्बर जी -- आपके शब्द सदैव विशेष होते हैं मेरे लिए | सादर आभार |

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  14. गोरी के तरसे नयन पिया बिन -
    धीरज पाते तुझसे अपार ;
    तुझमे छवि पाती श्याम - सखा की,
    कविता का असली निचोड़ तो इन चार पंक्तियों में है , शरद पूर्णिमा की हार्दिक बधाई .

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    1. आदरनीय शैल जी -- विषय को विस्तार देते आपके शब्द अनमोल हैं | सुस्वागतम और आभार |

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  15. नमस्ते,

    आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
    ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
    गुरुवार 25 अक्टूबर 2018 को प्रकाशनार्थ 1196 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।

    प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
    चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
    सधन्यवाद।

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    उत्तर
    1. आदरणीय रविन्द्र जी -- विलम्भ से प्रतिउत्तर के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ | आपका अतुलनीय सहयोग आभार से परे है | सादर --

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  16. बेहतरीन अभिव्यक्ति रेणू बहन, बहुत ही सुंदर उपमाओं से सजी धवल पूर्णिमा सी मुखरित रचना ।
    आ चांद तूझे छुपा लूं पलको में
    तूं गवाह है मेरे राधे श्याम के सानिध्य का
    बता तो जरा कैसा अनुपम रूप था उनका
    कहीं तुम भी तो मदहोश हुवे उन के दर्शन को।

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  17. वाह !! कुसुम बहन आपकी काव्यात्मक टिप्पणी ने रचना की शोभा बढ़ा दी है | मूल रचना से भी सुंदर हैं आपकी चार पंक्तियाँ ! सस्नेह आभार |

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  18. ओ शरद पूर्णिमा के शशि नवल !!!!!!!!

    बिल्कुल दी, इस प्यारे से चाँद पर आज की रात तो कोई कलंक नहीं होता न ?


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    1. सच कहा आपने शशि भाई | अज इस निष्कलंक चन्द्रमा की आभा का कोई सानी नहीं |

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  19. बेहतरीन भावों से सजी सुन्दर रचना

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  20. श्वेत शशक सा शरद सुभग सलोना
    चमक चांदनी चक मक कोना कोना
    राजे रजत रजनी का चंचल चितवन
    प्लावित पीयूष प्रेम पिया का तन मन.... वाह!रजत राका का महारास।

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    उत्तर
    1. हार्दिक सादर आभार आदरणीय विश्वमोहन जी |मूल रचना से कहीं सुंदर हैं आपकी काव्य पंक्तियाँ |

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  21. उत्तर
    1. सादर आभार सतीश जी | आपके पढने से रचना को सार्थकता मिली |

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  22. वाह रेणु जी ! प्रदूषण के आधिक्य के कारण इन दिनों तो शरद पूर्णिमा पर भी चाँद सहमा और उदास नज़र आता है किन्तु आपने उसे फिर से उसकी पुरानी शोभा प्रदान की है.
    शुद्ध, प्रांजल और मनोहर शब्दावली ने चांदनी रात में पन्त जी की - नौका विहार' की याद दिला दी.

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    उत्तर
    1. आदरणीय गोपेश जी , आपकी इस उत्साहित करती प्रतिक्रिया के लिए सदैव आभारी रहूंगी | सादर आभार और प्रणाम |

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  23. उत्तर
    1. अनिल भैया , आपके पढने से रचना सार्थक हुई | हार्दिक आभार आपका |

      हटाएं

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