मेरी प्रिय मित्र मंडली

शनिवार, 16 जुलाई 2022

आज कविता सोई रहने दो !

आज  कविता सोई रहने दो,
मन के मीत  मेरे !
आज नहीं जगने को आतुर 
सोये उमड़े  गीत मेरे !
 

ना जाने क्या बात है जो ये
मन विचलित हुआ जाता है !
अनायास जगा दर्द कोई 
पलकें नम किये जाता है !
आज नहीं सोने देते  
ये रात-पहर रहे बीत मेरे !

आज ना चलती तनिक भी  मन की
उपजे ना प्रीत का राग कोई !
विरक्त  हृदय में अनायास ही
व्याप्त हुआ विराग कोई !
ना चैन  आता पल भर को भी 
 देह -प्राण रहे रीत मेरे! 

कोई खुशी  ना छूकर गुजरे,
बहलाती  ना सुहानी याद कोई।
लौटती जाती होंठों पर से ,
आ-आ कर फरियाद कोई  ।
लगे बदलने असह्य पीर में 
मधुर   प्रेम- संगीत मेरे!
आज नहीं जगने को आतुर 
सोये उमड़े   गीत मेरे !

चित्र - गूगल से साभार 

विशेष रचना

पुस्तक समीक्षा और भूमिका --- समय साक्षी रहना तुम

           मीरजापुर  के  कई समाचार पत्रों में समीक्षा को स्थान मिला।हार्दिक आभार शशि भैया🙏🙏 आज मेरे ब्लॉग क्षितिज  की पाँचवी वर्षगाँठ पर म...