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मन के मीत मेरे !
आज नहीं जगने को आतुर
सोये उमड़े गीत मेरे !
ना जाने क्या बात है जो ये
मन विचलित हुआ जाता है !
अनायास जगा दर्द कोई
पलकें नम किये जाता है !
आज नहीं सोने देते
ये रात-पहर रहे बीत मेरे !
आज ना चलती तनिक भी मन की
उपजे ना प्रीत का राग कोई !
विरक्त हृदय में अनायास ही
व्याप्त हुआ विराग कोई !
चैन नहीं आता पल को भी
देह -प्राण रहे रीत मेरे!
कोई खुशी ना छूकर गुजरे,
बहलाती ना सुहानी याद कोई।
लौटती जाती होंठों पर से ,
आ-आ कर फरियाद कोई ।
लगे बदलने असह्य पीर में
मधुर प्रेम- संगीत मेरे!
आज नहीं जगने को आतुर
सोये उमड़े गीत मेरे !
चित्र - गूगल से साभार