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बुधवार, 25 अक्टूबर 2017
कल सपने में ------------- नवगीत ---

कल सपने में हम जैसे
फिर से हमने चुनी सीपियाँ
ठहर गई थी वहाँ हवाएँ
कल सपने में हम जैसे
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