'पावन , निर्मल प्रेम सदा ही -- रहा शक्ति मानवता की , जग में ये नीड़ अनोखा है - जहाँ जगह नहीं मलिनता की ;; मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है |
सोमवार, 29 मार्च 2021
कहो !कैसा था वो अबीर सखा ! - प्रेम गीत
पड़ ना सका जिसका रंग फ़ीका ,
मन -मधुबन में कान्हा बनकर
क्यों मोह रहे विश्व- वैभव का
सोमवार, 22 मार्च 2021
नदिया ! तू रहना जल से भरी - लघु कविता
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*************विश्व जल दिवस पर ********
***प्रार्थना हर उस नदी के लिए जो अपने क्षेत्र की गंगा है***
[ लघु कविता -मेरे ब्लॉग मीमांसा से ]
नदिया ! तू रहना जल से भरी
सृष्टि को रखना हरी -भरी ,
झूमे हरियाले तरुवर तेरे तट
तेरी ममता की रहे छाँव गहरी!!
देना मछली को घर नदिया ,
प्यासे ना रहे नभचर नदिया ;
अन्नपूर्णा बन - खेतों को
अन्न - धन से देना भर नदिया !
हों प्रवाह सदा अमर तेरे ,
बहना अविराम , न होना क्लांत ;
कल्याणकारी ,सृजनहारी तुम
रहना शांत ,ना होना आक्रांत ,!!
पुण्य तट तू सरस , सलिल ,
जन कल्याणी अमृतधार -निर्मल ;
संस्कृतियों की पोषक तुम -
तू ही सोमरस -पावन गंगाजल !!
गुरुवार, 11 मार्च 2021
मन पाखी की उड़ान -- प्रेम गीत ( prem geet)
मन पाखी की उड़ान
तुम्हीं तक मन मीता
जी का सम्बल तुम एक
भरते प्रेम घट रीता !
नित निहारें नैन चकोर
ना नज़र में कोई दूजा
हो तरल बह जाऊं आज
सुन मीठे बैन प्रीता !
बाहर पतझड़ लाख
चिर बसंत तुम मनके
सदा गाऊँ तुम्हारे गीत
भर - भर भाव पुनीता !
बिन देखे रूह बेचैन
हर दिन राह निहारे
लगे बरस - पल एक
साथी !जो तुम बिन बीता !
निर्मम वक़्त की धार
ना जाने किधर मुड़ जाए
तजो ,गूढ़ -ज्ञान व्यापार
पढो !आ प्रेम की गीता ! !
चित्र - गूगल से साभार
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