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प्रस्तुत रचना,किसी अन्य कवि की शोषित नारी के लिए लिखी गई रचना पर,काव्यात्मक प्रतिक्रिया स्वरुप लिखी गई थी।
'पावन , निर्मल प्रेम सदा ही -- रहा शक्ति मानवता की , जग में ये नीड़ अनोखा है - जहाँ जगह नहीं मलिनता की ;; मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है |
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प्रस्तुत रचना,किसी अन्य कवि की शोषित नारी के लिए लिखी गई रचना पर,काव्यात्मक प्रतिक्रिया स्वरुप लिखी गई थी।
तुम्हारी यादों की मृदुल छाँव में बैठ सँवारे हैं मेरे पास कहाँ कुछ था सब गीत तुम्हारे हैं | मनअम्बर पर टंका हुआ है, ढाई आखर प्रेम ...