अगर मिलो किसी मोड़ पर यूँ ही
उदास हंसी से लेना जान तुम ,
हों मौन अधर और पलकें नम
मैं वही हूँ लेना पहचान तुम !
भिगो पाएंगे ना दामन तुम्हारा
कभी ये आँखों के सावन मेरे ,
दूर होकर भी पास रहना
बन मथुरा ,काशी वृन्दावन मेरे ,
किसे बताऊं मैं?कोई कहाँ समझ पायेगा ?
मेरे भीतर ही बसना ,बन मेरे भगवान् तुम !!
एकांत बने कब साथी मेरे
क्यों ये दर्द है नियति मेरी ?
पूछना मत ! उजालों से दूर
क्यों है अंधेरों से प्रीति मेरी ;
पैर न रखना इनमें
उलझ कर रह जाओगे,
झाँकने ना आना,
झाँकने ना आना,
मेरी उदासियों के बियाबान तुम !1
तुम्हारी यादों में गुम रहूं बस
नित रचूं तुम्हारे गीत मैं ,
पर आस का एक पंछी
करूं ना जतन मिलने का तुमसे
ना कोई दुआ कोई मनमीत मैं ,तुम्हारी यादों में गुम रहूं बस
नित रचूं तुम्हारे गीत मैं ,
पर आस का एक पंछी
मंडराता मन की मुंडेर पे हाथ
क्या पता? आ कहीं से
कर दो मुझे हैरान तुम !!
चित्र ----- गूगल से साभार
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चित्र ----- गूगल से साभार
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