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विशेष रचना
आज कविता सोई रहने दो !
आज कविता सोई रहने दो, मन के मीत मेरे ! आज नहीं जगने को आतुर सोये उमड़े गीत मेरे ! ना जाने क्या बात है जो ये मन विचलित हुआ जाता है ! अना...

मन के विरक्त भावों को
जवाब देंहटाएंशब्दों में ढाला है
सोए गीतों को
थोड़ा तो जगा डाला है ।
व्यक्त करने से
थोड़ी तो पीर कम होगी
आँखों की नमी भी
थोड़ी तो कम होगी ।
भावपूर्ण रचना ।
प्रिय दीदी, रचना के अधूरे भावों की पूर्ति करती आपकी अनमोल काव्यात्मक प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ🙏🙏🌺🌺
हटाएंजी दी,
जवाब देंहटाएंआपकी कविता ने भाव विह्वल कर दिया।
कुछ पंक्तियां समर्पित है -
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किसी भी बहाने चली आती हैं उदासियाँ
छेड़ों न गीत कोई छोड़ो दर्द की उबासियाँ
दर्द थका रोकर अब बचा कोई एहसास नही
पहचाने चेहरे बहुत जिसकी चाहत वो पास नही।
पलभर के सुकूं को उम्रभर का मुसाफिर बना
जिंदगी में कहीं खुशियों का कोई आवास नहीं।
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सप्रेम
सादर।
बहुत खूब प्रिय श्वेता! रचना के भावों को विस्तार देती इस सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए जितना भी आभार प्रकट करूँ कम है।मेरी शुभकामनाएं और प्यार 🌹🌹🌺🌺
हटाएंआपकी लिखी रचना सोमवार 18 जुलाई 2022 को
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
अर्से बाद पाँच लिंक में अपनी रचना को देखकर अच्छा लगा।कोटि-कोटि धन्यवाद 🙏🙏🌹🌹🌺
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंआपका हार्दिक स्वागत है सुशील जी🙏🙏🌺🌺
हटाएंबहुत बहुत सुन्दर बहुत बहुत सरस
जवाब देंहटाएंहार्दिक अभिनंदन और आभार आलोक जी🙏🙏🌺🌺
हटाएंदिल को छूती बहुत सुंदर रचना, रेणु दी।
जवाब देंहटाएंबहुत- बहुत आभार ज्योति जी 🙏🙏🌹🌹🌺🌺
हटाएंबेहद सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार और अभिनंदन प्रिय भारती जी 🙏🙏🌺🌺🌺🌺🌺
हटाएंकभी-कभी मन ऐसा ही हो जाता है ...
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है आदरणीया 🙏🙏🌹🌹🌺🌺
हटाएंआज नहीं जगने को आतुर
जवाब देंहटाएंसोये उमड़े गीत मेरे !
मन के अनकहे एहसास पिरो दिये आपने रेणु जी!
सच में कभी विरक्ति इतनी बढ़ जाती है कि बोल , शब्द और लेखनी सब सो जते है ...पर आपकी लेखनी ने करवट बदली हैगीत भी जगेंगे और मन की खुशियों के साथ आपके सुन्दर गीतो पर पुनः हम पाठक झूम उठेंगे ।
लाजवाब सृजन ।
रचना के मर्म तक पहुँचने के लिए आपका हार्दिक आभार है प्रिय सुधा जी🙏🌹🌺🌺🌹
हटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है प्रिय रंजू जी 🙏🙏🌺🌺🌹🌹
हटाएंभावपूर्ण रचना है यह रेणु जी आपकी। श्वेता जी ने टिप्पणी में जो काव्य-पंक्तियां प्रस्तुत की हैं, वे भी सराहनीय हैं।
जवाब देंहटाएंआपका हार्दिक आभार जितेन्द्र जी।प्रिय श्वेता ने सचमुच बहुत अच्छा लिखा है।
हटाएंखूबसूरत बिम्बों का प्रयोग किया है आपने कविता भी बेहद संवेदनशील बन पड़ी है बधाई
जवाब देंहटाएंआपका हार्दिक स्वागत है प्रिय संजय 🌺🌺🌹🌹🙏
हटाएंबहुत ही मार्मिक भावों की प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसच कभी कभी मन किसी अनजाने विषाद से ग्रसित हो जीवन के विभिन्न आयामों से विरक्ति सा करवा देता है, पर समय के साथ हर विरक्ति दूर होती है और हम अपने मूल स्वभाव में फिर आ जाते हैं। मन के खेल भी निराले हैं।
सुंदर सराहनीय सृजन के लिए लाख बधाई सखी ।
रचना का मर्म स्पष्ट करती प्रतिक्रिया के लिए कोटि धन्यवाद प्रिय जिज्ञासा जी। जीवन में हर चीज अस्थायी है।🙏🙏🌺🌺🎀🎀
हटाएंगीत हमारे मनोविज्ञान के इर्द-इर्द रचते-बसते हैं
जवाब देंहटाएंबहुत सही
हार्दिक आभार आपका प्रिय कविता जी 🙏♥️♥️🌹🌹
हटाएंविषाद लम्बा हो जरूरी नहीं विषाद के कुछ पल भी अगर लेखनी उठवा दें तो रचनाकार जो लिख जाता है वो सोचकर कभी नहीं लिख पाता।
जवाब देंहटाएंवेदना अकथित स्याही में ढल कर अंतर तक उतर गई।
अप्रतिम सृजन रेणु बहन।
बहुत सुंदर हृदय तक पहुंचता।
आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई प्रिय कुसुम बहन।स्वागत और आभार आपका ♥️♥️🌹🌹🙏
हटाएं
जवाब देंहटाएंहै ऐसी कौन बात प्रिये
जो मन विचलित कर जाती है।
वो टीस वेदना की कैसी
जो मन मे नित भर जाती है।
अनायास ये दर्द कैसा ?
कर जाता जो पलको को नम !
करूँ श्रृंगार खुशियों से तेरा
पीकर मैं सारा वो गम।
अपने अधरों को मीठा कर ले
ले सारे मुस्कान मेरे।
अब कर ले आतुर जगने को
खोये उमड़े गीत तेरे।
स्पंदन उर का तेरा,
सपनों का चतुर चितेरा ।
छुप छुपकर छवि तुम्हारी,
हृदय में हमने उकेरा।
स्वपन सजन बन नयनो के ,
चिलमन में आ जाना ।
प्रीत की पाती की बतियों पे ,
सहमी क्यों, मुसका ना !
मेरी रचना के मिलते जुलते भावों से युक्त आपकी इस सार्थक और भावपूर्ण रचना के लिए कोटि धन्यवाद आदरनीय विश्व मोहन जी।ये रचना ब्लॉग पर थाती रूप में रहेगी।एक बार फिर से आभार और प्रणाम 🙏🙏
हटाएंसुंदर भावपूर्ण सृजन। अनायास जगे दर्द की वजह से ही ऐसा सुंदर भावप्रधान और संवेदनशील काव्य पढ़ने को मिलता है। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आपको। सादर।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार प्रिय वीरेंद्र जी।आपका बहुत -बहुत स्वागत है।
हटाएंबेचैन है कविता कहीं
जवाब देंहटाएंआभार सतीश जी।आपको बहुत दिनों के बाद ब्लॉग पर देखकर अच्छा लगा 🙏🙏
हटाएंबहुत खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार प्रिय प्रीती जी 🌺🌺🌹🌹
हटाएंराग और विराग से भरी कोमल भावनाओं को पिरोती हुई सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार प्रिय अनीता जी 🙏🙏🌺
हटाएंजैसे सुकुमार कलिका चिंहुक उठी हो और हृदय उसी लय में बद्ध हो रहा हो..… अति सुन्दर भाव सृजन।
जवाब देंहटाएंआपकी इस हृदयस्पर्शी प्रतिक्रिया के लिए सस्नेह आभार प्रिय अमृता जी 🙏🌺🌺
जवाब देंहटाएंआदरणीया मैम , बहुत ही भावपूर्ण कविता । व्याकुल दुखी मन का चित्रण पर मेरी कविता सोई रहने दो कहने के बहाने तो आपकी कविता जग गई । इस सुंदर रचना को लिखने के बाद तो मन आनंदित हुआ होगा न? अत्यंत आभार एवं सादर प्रणाम ।
जवाब देंहटाएंढेरो आभार और प्यार प्रिय अनंता।तुम्हारी स्नेहासीक्त भावनाओं के समक्ष निशब्द हूँ।
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