शहर गये हो -
तन्हाईयों से ये
घर आँगन भर गये हैं |
उदासियाँ हर गयी है
घर भर का ताना - बाना
हर आहट पे तुम हो
अब ये भ्रम पुराना
जाने कहाँ वो किताबे तुम्हारी -
बन प्रश्न तुम्हारे-मेरे उत्तर गये है
झांकती हूँ गली में-
लौटे बच्चों की टोली,
याद आ जाती तुम्हारी -
सूरत सलोनी भोली
तुम्हारा लौट आना -
अतीत में वो पहर गये हैं
सजा लिया आँखों में
नया सुहाना सपना
चुन लिया है तुमने
आकाश नया अपना
उड़ान है नई सी
उगे अब पर नये हैं
तन्हाई में रंग भरता
तुम्हारा अतिथि बन आना
सजाता है पल को
इस घर का वीराना-
खिल जाती है बहना
नैन ख़ुशी से भर गये हैं
चिड़िया सी नहीं मैं -
तुम्हे गगन में उड़ा दूँ
ना नम नयना करूं
ख़ुशी से मुस्कुरा दूँ
बहुत थामा दिल को
बन नैन निर्झर गये है
चित्र ---------गूगल से साभार
--------------------------------------------------------------------------------------