अब नहीं हो! दुनिया के लिए,
तुम तनिक भी अंजाने, चाँद!
सब जान गए राज तुम्हारा
तुम इतने भी नहीं सुहाने, चाँद!
बहुत भरमाया सदियों तुमने ,
गढ़ी झूठी कहानी थी;
थी वह तस्वीर एक धुंधली ,
नहीं सूत कातती नानी थी;
युग_युग से बच्चों के मामा -
क्या कभी आये लाड़ लगाने?चाँद !
खोज - खबर लेने तुम्हारी ,
विक्रम संग प्रज्ञान चला है।
ले खूब दुआओं के तोहफे,
तुम्हे मिलने हिन्दुस्तान चला है ;
ना होना तनिक भी विचलित -
नहीं आया कोई भरमाने , चाँद !
उत्तरी ध्रुव के भेद खुले -
अब दक्षिण की बारी है;
करो !हम से भी भाईचारा,
नहीं कोई दुश्वारी है;
टंके रहोगे कब तक तन्हा ?
अन्तरिक्ष में वीराने , चाँद!
स्वरचित -- रेणु
चित्र - Google से साभार ----
भारतवर्ष के गौरव 'इसरो' को चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण के लिए हजारों सलाम!
सभी प्रतिभाशाली वैज्ञानिक बधाई के पात्र हैं |
शुक्रिया शब्दनगरी -----
रेणु जी बधाई हो!,
आपका लेख - (सुनो चाँद ! ) आज की सर्वश्रेष्ठ रचना के रूप में चयनित हुआ है | आप अपने लेख को आज शब्दनगरी के मुख्यपृष्ठ (www.shabd.in) पर पढ़ सकते है |
धन्यवाद, शब्दनगरी संगठन