डाल- डाल पे फिरे मंडराती
बनी उपवन की रानी तितली ,
हरेक फूल को चूमें जबरन
तू करती मनमानी तितली !
प्रतीक्षा में तेरी फूल ये सारे
राह में पलक बिछाते हैं ,
तेरे स्पर्श से आह्लादित हो
झूम - झूम लहराते हैं ,
पर मुड़ तू ना कभी लौटती
मरा तेरी आँख का पानी तितली !
खिले फूल की रसिया तू
रस चूसे और उड़ जाए ,
ढूंढ ले फिर से पुष्प नया इक
बिसरा देती फूल मुरझाये ,
इक डाल पे रात बिताये-दूजी पे
उगे तेरी भोर सुहानी तितली !!
स्वछंद घूमती,तू बंधती ना ,
कभी किसी भी बंधन में ,
निर्मोही , कुटिल और कामी तू !
है निष्ठुर और निर्मम मन से ,
क्या जाने तू मर्म प्यार का ?
जाने क्या प्रीत रूहानी तितली ! ?!बसाहट
जिन सुंदर पंखों पे इतराती तू
इक दिन सूख कर मुरझा जायेंगे ;
टूट- टूट अनायास फिर
संग हवा के उड़ जायेंगे ;
फूल की भांति हर शै मिट जाती
सुन ! ये दुनिया है फ़ानी तितली !!
चित्र --- पांच लिंक से साभार -----