दिन आज का बहुत सुहाना साथी !
आज कहीं मत जाना साथी !!
मुदित मन के मनुहार खुले हैं ,
नवसौरभ के बाजार खुले हैं ;
डाल - डाल पर नर्तन करती
कलियों के बंद द्वार खुले हैं ;
सजा हर वीराना साथी !
आज कहीं मत जाना साथी!!
ये तप्त दुपहरी जीवन की
थी मंद पड़ी प्राणों की उष्मा ,
जाग पड़ी तुम्हारी आहट से
सोयी अंतस की चिरतृष्णा,
हुआ विरह का राग पुराना साथी !
आज कहीं मत जाना साथी !!
सुन स्वर तुम्हारा सुपरिचित
ले हिलोरें पुलकित अंतर्मन ,
जाने जोड़ा किसने और कब?
प्रगाढ़ हुआ ये मन का बंधन ;
मिला नेह नज़राना साथी !
आज कहीं मत जाना साथी !!
आज कहीं मत जाना साथी !!
मुदित मन के मनुहार खुले हैं ,
नवसौरभ के बाजार खुले हैं ;
डाल - डाल पर नर्तन करती
कलियों के बंद द्वार खुले हैं ;
सजा हर वीराना साथी !
आज कहीं मत जाना साथी!!
ये तप्त दुपहरी जीवन की
थी मंद पड़ी प्राणों की उष्मा ,
जाग पड़ी तुम्हारी आहट से
सोयी अंतस की चिरतृष्णा,
हुआ विरह का राग पुराना साथी !
आज कहीं मत जाना साथी !!
सुन स्वर तुम्हारा सुपरिचित
ले हिलोरें पुलकित अंतर्मन ,
जाने जोड़ा किसने और कब?
प्रगाढ़ हुआ ये मन का बंधन ;
मिला नेह नज़राना साथी !
आज कहीं मत जाना साथी !!