रेगिस्तान में आ यायावर
क्यों हुए तुम्हारे पलक गीले ?
रेतीले पथ पर कहाँ खोजता
खुशियों के बसंत सजीले !
ये असीम रेतीला सागर
तुझे क्या धीरज दे पायेगा ?
खुद है जो बेहाल प्यास से
तुझे क्या धीरज दे पायेगा ?
खुद है जो बेहाल प्यास से
कैसे शीतलता दे पायेगा ?
तुझको आगे बढ़ने ना देंगे
रेत के ऊँचे पर्वत , टीले !
तुझको आगे बढ़ने ना देंगे
रेत के ऊँचे पर्वत , टीले !
बारिश की बूँदें या आँसू
सब इसमें ज़ज़्ब हो जायेंगे .
सब इसमें ज़ज़्ब हो जायेंगे .
मरुधरा पर हरियाली के
कहाँ स्वप्न पनपने पायेंगे ;
बींध देंगे कोमल पांव तेरे
कहाँ स्वप्न पनपने पायेंगे ;
बींध देंगे कोमल पांव तेरे
ये राह के बबूल कंटीले !
कहाँ खोजता रेतीली राहों में -- खुशियों के रंग सजीले !
स्वरचित
चित्र गूगल से साभार --