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शनिवार, 31 मार्च 2018

आई तुम्हारी याद -----कविता

आई तुम्हारी याद -- कविता
दूभर तो बहुत थी  
ये उदासियाँ मगर ,
आई तुम्हारी याद -
तो हम मुस्कुरा दिए !
आई पलट के  खुशियाँ
महकी हैं मन की गलियाँ;
बहुत दिनों के बाद  
हम मुस्कुरा दिए ! ! 

बड़े विकल कर रहे थे  
कुछ  संशय मनचले थे ;

धीरज ना कुछ बचा था  
और नैन भर चले थे ;
बस यूँ ही उड़ चले 

कई दर्द अनकहे
 . 
जब तुमसे हुई बात  

तो हम मुस्कुरा दिए ! ! 

हम यूँ ही बस भले थे  
तन्हाइयों में जीते !
तुम आये किधर से राही 
ले रंग   जिंदगी के ?
जीवन में वो कमी थी  
आँखों में बस नमी थी , 
पर तुम जो आये साथ  
तो हम मुस्कुरा दिए ! !


अपना ये सब जहाँ था  

पर तुमसा  कोई कहाँ था ?

अंधेरों से मन घिरा था 

हर  पग पे  इम्तिहां था 

 थे  कभी  अकेले  ;

 तुम  लाये ख़ुशी के मेले

 सुनी  मन  की  बात 

तो  हम  मुस्कुरा दिये !! 

चित्र ------ गूगल से साभार ----
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