
जाने ये कौन चितेरा है
जो सजा लाया नया सवेरा है ,
नभ की कोरी चादर पर जिसने
हर रंग भरपूर बिखेरा है ?
ये कौन तूलिका है ऐसी
जो ज़रा नजर नहीं आई है ?
पर पल भर में ही देखो
अम्बर सतरंगी कर लाई है !
धरा कर को हरित वसना
पथ में बिछाया रंग सुनहरा है ,
जाने ये कौन चितेरा है ?
ये विस्तार सौंदर्य का
अनुपम और अद्भुत है ये बेला ,
सपनों में रंग भरता है देखो !
नील गगन का सतरंगी झूला ,
मौन दिशाओं में स्पन्दन
रचा ये देव -धनुष का घेरा है
जाने ये कौन चितेरा है ?
जाने ये कौन चितेरा है ?
वर्षा में नहाया खूब खिला
ये तन सृष्टि का धुला- धुला ;
ईश्वर की प्रतिछाया सा
हुआ निर्मल अम्बर खुला - खुला ;
आँखमिचौली करता किरणों से
ये मलय पवन का लहरा है
जाने ये कौन चितेरा है !!
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धन्यवाद शब्दनगरी ----
रेणु जी बधाई हो!,
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