शहर गये हो ,
तन्हाईयों से ये
घर आँगन भर गये हैं |
उदासियाँ हर गयी है
घर भर का ताना - बाना
हर आहट पे तुम हो
अब ये भ्रम पुराना,
जाने कहाँ वो किताबें तुम्हारी
बन प्रश्न तुम्हारे-मेरे उत्तर गये हैं !
झाँकती गली में ,देखूँ
लौटे बच्चों की टोली,
याद आ जाती तब
तुम्हारी सूरत सलोनी भोली,
तुम्हारा लौट आना ,
अतीत में वो पहर गये हैं
सजा लिया आँखों में
नया सुहाना सपना,
चुन लिया है तुमने
आकाश नया अपना,
उड़ान है नई सी
उगे अब पर नये हैं !
तन्हाई में रंग भरता
तुम्हारा अतिथि बन आना ,
सजाता है पल को
इस घर का वीराना ,
खिल जाती है बहना
नैन ख़ुशी से भर गये हैं
चिड़िया सी नहीं मैं
तुम्हें गगन में उड़ा दूँ ,
करूँ ना नम नयना
ख़ुशी से मुस्कुरा दूँ ,
बहुत थामा दिल को
बन नैन निर्झर गये है
चित्र ---------गूगल से साभार
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