अनगिन दीपों संग आज जलाऊँ
एक दीप तुम्हारे नाम का साथी ,
तुम्हारी प्रीत से हुई है जगमग
क्या कहना इस शाम का साथी !!
जब से तुम्हें साथी पाया है
आह्लादित मन बौराया है ,
तुमसे कहाँ अब अलग रही मैं ?
खुद को खो तुमको पाया है
भीतर तुम हो ,बाहर तुम हो -
तू गोविन्द है मन धाम का साथी !!
ये अनुराग तुम्हारा साथी
जाने कौन गगन ले जाये ?
पुलकित हो बावरा मन मेरा
आनंद शिखर छू जाये ,
तुम बिन अधूरा परिचय मेरा
तू प्रतीक मेरे स्वाभिमान का साथी !!
मनबैरागी बन तजूं रंग सारे
मन रंगूँ तेरी प्रीत के रंग में ,
साजन रहे अक्षुण साथ तुम्हारा
जीवनपथ पे चलूँ संग-संग में
बिन तेरे ये जीवंन मेरा
है मेरे किस काम का साथी ?
अनगिन दीपों संग आज जलाऊँ
एक दीप तुम्हारे नाम का साथी ,
तुम्हारी प्रीत से हुई है जगमग
क्या कहना इस शाम का साथी !!
स्वरचित -- रेणु
चित्र -- साभार गूगल --
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Gप्लस से साभार टिप्पणी --
तुमसे कहाँ अब अलग रही मैं ?
खुद को खो तुमको पाया है
भीतर तुम हो ,बाहर तुम हो -
तू गोविन्द है मन धाम का साथी !!
ये अनुराग तुम्हारा साथी
जाने कौन गगन ले जाये ?
पुलकित हो बावरा मन मेरा
आनंद शिखर छू जाये ,
तुम बिन अधूरा परिचय मेरा
तू प्रतीक मेरे स्वाभिमान का साथी !!
मनबैरागी बन तजूं रंग सारे
मन रंगूँ तेरी प्रीत के रंग में ,
साजन रहे अक्षुण साथ तुम्हारा
जीवनपथ पे चलूँ संग-संग में
बिन तेरे ये जीवंन मेरा
है मेरे किस काम का साथी ?
अनगिन दीपों संग आज जलाऊँ
एक दीप तुम्हारे नाम का साथी ,
तुम्हारी प्रीत से हुई है जगमग
क्या कहना इस शाम का साथी !!
स्वरचित -- रेणु
चित्र -- साभार गूगल --
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