मेरी प्रिय मित्र मंडली

शनिवार, 13 मई 2023

वीतरागी माँ


उसी प्यार से एक बार फिर 
बैठ के मुझे  निहारो माँ
मेरी लाड़ो मेरी चन्दा 
कह फिर आज पुकारो माँ
 
आँखों में   व्याप्त  अजनबीपन 
तनिक भी  तो  ना भाता  माँ
यूँ विरक्त हो जाना तेरा 
बरबस दिल दहलाता माँ 
रखो  हाथ जरा सर पे 
ममता से मुझे दुलारो माँ !


थी कभी जीवटता की  मूर्त  
क्यों अब पग थके-थके से हैं!
जो कहना है झट से कह दो 
जो होठों पर शब्द रुके-से हैं!
धीर ना धरता व्याकुल मनुवा 
सीने से लगा पुचकारो माँ !


विरह-विगलित मन को
सदा सहलाया माँ तुमने!
जब सबने  ठुकराया उस पल 
गले लगाया माँ तुमने!
बिखर रही हूँ तिनका -तिनका 
आ फिर मुझे संवारो  माँ !

 


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