जो ये श्वेत,आवारा , बादल
रंग -श्याम रंग ना आता ,
कौन सृष्टि के पीत वसन को
रंग के हरा कर पाता ?
कौन सृष्टि के पीत वसन को
रंग के हरा कर पाता ?
ना सौंपती इसे जल- संपदा
कहाँ सुख से नदिया सोती ?
कहाँ सुख से नदिया सोती ?
इसी जल को अमृत घट सा भर
नभ से कौन छलकाता ?
किसके रंग- रंगते कृष्ण सलोने
घनश्याम कहाने खातिर ?
घनश्याम कहाने खातिर ?
इस सुधा रस बिन कैसे
चातक अपनी प्यास बुझाता ?
पी छक, तृप्त धरा ना होती
सजती कैसे नव सृजन की बेला ?
कौन करता जग को पोषित
अन्न धन कहाँ से आता ?
अन्न धन कहाँ से आता ?
किसकी छवि पे मुग्ध मयूरा
सुध -बुध खो नर्तन करता ?
कोकिल सु -स्वर दिग्दिगंत में
आनंद कैसे भर पाता ?
टप-टप गिरती बूँदों बिन
कैसे आँगन में उत्सव सजता ?
दमक -दामिनी संग व्याकुल हो
मेघ जो राग मल्हार ना गाता !
कहाँ से खिलते पुष्प सजीले,
कैसे इन्द्रधनुष सजता ?
विकल अम्बर का ले संदेशा
कौन धरा तक आता !!
कौन धरा तक आता !!
चित्र गूगल से साभार ---
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रेणु जी बधाई हो!,
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