
'पावन , निर्मल प्रेम सदा ही -- रहा शक्ति मानवता की , जग में ये नीड़ अनोखा है - जहाँ जगह नहीं मलिनता की ;; मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है |
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सोमवार, 28 अगस्त 2017
बीते दिन लौट रहे हैं -------- नवगीत

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विशेष रचना
मन पाखी की उड़ान -- प्रेम गीत ( prem geet)
मन पाखी की उड़ान तुम्हीं तक मन मीता जी का सम्बल तुम एक भरते प्रेम घट रीता ! नित निहारें नैन चकोर ना नज़र में कोई दूजा हो...
