ख़त नही दिल भेजा था --
क्या तुमने अंजाम किया ?
बेहतर बात ये तुम तक रहती -
तुमने चर्चा आम किया !
वफ़ा का इकरार किया -
बे इन्तहा प्यार किया ,
इश्क खुमारी सर चढ़ बोली -
सजदा रात- भिनसार किया !!
दी थी दावते -इश्क तुम्ही ने -
भेज गुलाब उमीदो के ,
फिर क्यों बैठ, सरे महफ़िल
नाम मेरा बदनाम किया !!?!!
तुम्हे पाने की कोशिश -
तमाम हुई नाकाम हुई -
फिजूल चाहत में ख्वाब मिटे -
मुझे रुसवा सरेआम किया !!!!!!!!!!!!!
संदर्भ ---- हमकदम -- पञ्च लिंक --रचना लेखन -विषय निम्न पंक्तियाँ -
इन्तजार , इज़हार ,गुलाब ,ख्वाब , नशा
उसे पाने की कोशि श तमाम हुई - सरेआम हुई
द्वारा- रोहितास घोडेला जी --
स्वरचित --रेणु
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