मेरी प्रिय मित्र मंडली

शुक्रवार, 11 नवंबर 2022

क्या दूँ प्रिय उपहार तुम्हें?



प्रिय क्या दूँ उपहार तुम्हें ?
 जब सर्वस्व पे है अधिकार तुम्हें!
मेरी हर प्रार्थना में तुम हो,
निर्मल अभ्यर्थना में तुम हो!
तुम्हें समर्पित हर प्रण मेरा,
माना जीवन आधार तुम्हें!
मुझमें -तुझमें क्या अंतर अब!
 कहां भिन्न दो मन-प्रांतर अब
ना भीतर शेष रहा कुछ भी,
 सब सौंप दिया उर भार तुम्हें!
मेरे संग मेरे  सखा तुम्हीं 
मन की पीड़ा की दवा तुम्हीं
बसे  रोम रोम तुम ही प्रियवर
रही शब्द शब्द सँवार तुम्हें 
  दूं प्रिय! उपहार तुम्हें?
जब सर्वस्व पे है अधिकार तुम्हें 
 


विशेष रचना

आज कविता सोई रहने दो !

आज  कविता सोई रहने दो, मन के मीत  मेरे ! आज नहीं जगने को आतुर  सोये उमड़े  गीत मेरे !   ना जाने क्या बात है जो ये मन विचलित हुआ जाता है ! अना...