'पावन , निर्मल प्रेम सदा ही -- रहा शक्ति मानवता की , जग में ये नीड़ अनोखा है - जहाँ जगह नहीं मलिनता की ;; मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है |
मेरी प्रिय मित्र मंडली
सोमवार, 29 मार्च 2021
कहो !कैसा था वो अबीर सखा ! - प्रेम गीत
पड़ ना सका जिसका रंग फीका
उस फागुन की हँसी- ठिठौली मे
मिले जब से लगन लगी ऐसी
मन मधुबन में कान्हा बनकर
क्यों मोह रहे विश्व-वैभव का
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विशेष रचना
आज कविता सोई रहने दो !
आज कविता सोई रहने दो, मन के मीत मेरे ! आज नहीं जगने को आतुर सोये उमड़े गीत मेरे ! ना जाने क्या बात है जो ये मन विचलित हुआ जाता है ! अना...
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