'पावन , निर्मल प्रेम सदा ही -- रहा शक्ति मानवता की , जग में ये नीड़ अनोखा है - जहाँ जगह नहीं मलिनता की ;; मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है |
मेरी प्रिय मित्र मंडली
सोमवार, 29 मार्च 2021
कहो !कैसा था वो अबीर सखा ! - प्रेम गीत
पड़ ना सका जिसका रंग फीका
उस फागुन की हँसी- ठिठौली मे
मिले जब से लगन लगी ऐसी
मन मधुबन में कान्हा बनकर
क्यों मोह रहे विश्व-वैभव का
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
विशेष रचना
पुस्तक समीक्षा और भूमिका --- समय साक्षी रहना तुम
मीरजापुर के कई समाचार पत्रों में समीक्षा को स्थान मिला।हार्दिक आभार शशि भैया🙏🙏 आज मेरे ब्लॉग क्षितिज की पाँचवी वर्षगाँठ पर म...
