इंसान हूँ मेहनतकश मैं
नहीं लाचार या बेबस मैं !
किस्मत हाथ की रेखा मेरी
रखता मुट्ठी में कस मैं !!
किस्मत हाथ की रेखा मेरी
रखता मुट्ठी में कस मैं !!
बड़े गर्व से खींचता
जीवन का ठेला ,
संतोषी मन देख रहा
अजब दुनिया का खेला !!
गाँधी सा सरल चिंतन -
मैले कपडे उजला मन ,
श्रम ही स्वाभिमान मेरा -
हर लेता पैरों का कम्पन !
भीतर मेरे गांव बसा
है कर्मभूमि नगर मेरी ,
हौंसले कम नहीं हैं
कठिन भले ही डगर मेरी !!!!!!!!!
चित्र --- गूगल से साभार ------
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चित्र --- गूगल से साभार ------
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