इस क़दर अपना बनाया आपने ,
कर दिया जग से पराया आपने !
था दर्द की इन्तहा में डूबा ये दिल ,
चाहत का मरहम लगाया आपने !
मेरे भीतर ही था सोया कहीं ,
आ वो बचपन लौटाया आपने!
बदल गए मंज़र कायनात के,
वो हसीं जादू जगाया आपने !
हुआ एक पल भी दूभर बिन आपके ,
खुद का यूँ आदी बनाया आपने !
इस जमीं से आगे कब था मेरा जहाँ '
आसमां पे ला बिठाया आपने !!
रूमानियत का है करिश्मा आपकी,
मुझसे ही मुझको मिलाया आपने !!