'पावन , निर्मल प्रेम सदा ही -- रहा शक्ति मानवता की , जग में ये नीड़ अनोखा है - जहाँ जगह नहीं मलिनता की ;; मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है |
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विशेष रचना
आज कविता सोई रहने दो !
आज कविता सोई रहने दो, मन के मीत मेरे ! आज नहीं जगने को आतुर सोये उमड़े गीत मेरे ! ना जाने क्या बात है जो ये मन विचलित हुआ जाता है ! अना...
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका आदरणीय लोकेश जी |
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी ये रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 27 अक्टूबर 2017 को लिंक की गई है...............http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
प्रिय श्वेता बहन --आपकी आभारी हूँ जो आपने पहले पांच लिंक सयोजन में मेरी रचना को जगह दी |
हटाएंबहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंआदरणीय सुशील जी -- आपके सराहना भरे शब्द अनमोल हैं |
हटाएंवाह !
जवाब देंहटाएंअत्यंत मधुर लयबद्ध नवगीत। आदरणीया रेणु जी आपने करोड़ों युवा दिलों की धड़कनों के अल्हड़पन और निश्छल मन की चंचलता को फैंटेसी के ज़रिये ऊँची उड़ान दी है। बहुत अच्छा लगा आपका यह नवगीत। लिखते रहिये।
बधाई एवं शुभकामनाऐं।
आदरणीय रविन्द्र जी -- आपके प्रोत्साहन भरे शब्द मेरे मनोबल को उंचा करते हैं | ये मेरी रचना की सार्थकता के परिचायक है | फैंटेसी और दिवास्वप्न सदैव ही संवेदनशील मन की कल्पना का प्रमुख अंग रहे हैं | रचना के अंतर्निहित भाव को पहचानने के लिए आपकी आभारी हूँ | |
हटाएंजहाँ फैली थी मधुर चांदनी -
जवाब देंहटाएंशीतल जल के धारों पे ,
कुंदन जैसी रात थमी थी
मौन स्तब्ध आधारों पे...
बहुत बहुत बहुत मोहक। अप्रतिम। सुंदरतम
प्रिय अमित -- हार्दिक आभार आपका |
हटाएंआदरणीया रेणु जी आपकी रचना दार्शनिक भाव का एक अनूठा संगम है। शब्दों ने भावों को क्या खूब तराशा है। उम्दा ! सादर
जवाब देंहटाएंप्रिय ध्रुव -- हार्दिक आभार आपका |आपके शब्द मेरी रचना की सार्थकता को बढ़ाते हैं |
हटाएंप्रेमियों के मासूम से स्वप्न...ना गाड़ी ना बंगला,बस चाँदनी रात, सागर का तट, उमड़ती लहरें और प्रिय का साथ....और कुछ नहीं चाहिए !!!!
जवाब देंहटाएंशब्दचयन व भाषा के शिल्प का बहुत सुंदर प्रयोग किया है भावों को उकेरने में!!!!बहुत बहुत सुंदर!!!
आदरणीय मीना जी ----- सचमुच अनुराग से भरे मन के ये मासूम स्वप्न उनकी सबसे अनमोल पूंजी होते हैं | आपकी सार्थक टिपण्णी के लिए आभारी हूँ आपकी |
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंप्रिय ज्योति स्वागत है आपका मेरे ब्लॉग पर | रचना पर आपके सार्थक शब्दों के लिए आभारी हूँ आपकी |
हटाएंरेनु जी,प्रेमियों के मनोभावों को बहुत ही खूबसूरती से व्यक्त किया हैं आपने। बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंरेनू जी, मन को छूनेवाली सुन्दर रचना है
जवाब देंहटाएंप्रिय रिंकी -- आपका ब्लॉग पर हार्दिक अभिनन्दन !!!!!!! रचना पढने के लिए हार्दिक आभार आपका |
हटाएंकभी राधा थे - कभी कान्हा थे -
जवाब देंहटाएंमिट हम तुम के सब भेद गए ;
कुछ लगन मनों में थी ऐसी -
हर चिंता , कुंठा छेद गए ,
मन के रिश्ते सफल हुए -
और तन के रिश्ते शिथिल पड़े !!!
सुंदर मन की सुंदर कृति। मनमोहक कृति के लिए भहुत बहुत बधाई।
आपके सार्थक शब्दों के लिए आभारी हूँ-- आदरणीय पुरुषोत्तम जी --
हटाएंबहुत ही सुन्दर ,मनभावन प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंवाह!!!
आदरणीय सुधा जी--- आभारी हूँ आपकी -------
हटाएंआपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2017/10/41.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआदरणीय राकेश जी -- एक बार फिर आपने मेरी रचना को सम्मान दिया है -- सादर आभार आपका |
हटाएंसमय के निर्जन पथ पर अक्सर यादें लौट लौट के आती हैं और जीवन उन्ही सुहानी यादों में आगे बढता जाता है ... मन के एहसास पियोये हैं शब्दों में ...
जवाब देंहटाएंआदरणीय दिगंबर जी -- बहुत दिनों के बाद अपने ब्लॉग पर आपके भ्रमण से बहुत ख़ुशी हुई | आपके अनमोल शब्द मेरी रचना के भावों को विस्तार दे रहे हैं-जिसके लिए आभारी हूँ आपकी |
हटाएंवाह ! खूबसूरत भाव ! खूबसूरत शब्द संयोजन ! लाजवाब प्रस्तुति ! बहुत खूब आदरणीया ।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आपका ------ आदरणीय राजेश जी |
हटाएंवाह.....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सोच
कोई कहानी भूली याद जो आई
उम्दा
यादें..ये मुई आ ही जाती है
सादर
आदरणीय यशोदा जी --- हार्दिक अभिनन्दन मेरे ब्लॉग पर और सस्नेह आभार आपका - रचना पर चिंतन के लिए !!!!!
हटाएंसुंदर!१!
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय विश्वमोहन जी --
हटाएंवाह!!! बहुत खूबसूरत स्वप्न।
जवाब देंहटाएंसूंदर भाव और शब्द चयन
शानदार रचना
प्रिय नीतू जी -- सस्नेह आभार आपका |
हटाएंवाह बहुत खूब रेणूजी।
जवाब देंहटाएंचाहतों का सुंदर सा स्वरुप,
दुनिया मे रह कर दुनिया से दूर।
मुझे आपका नव गीत आल्हादित कर गया
बेहद दिलकश।
शुभ दिवस ।
आदरणीय कुसुम जी -- आपने रचना के अंतर्निहित भाव को पहचाना -- ये मेरे लेखन की सार्थकता है | सस्नेह आभार आपका |
हटाएंमन को छू लेने वाली बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएं