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शनिवार, 18 अगस्त 2018

क्या तुमसे लिखूँ परिचय मेरा ?-- कविता



क्या  तुमसे  लिखूँ परिचय मेरा ?
 तुम  पावन स्नेह प्रश्रय मेरा !!

कब स्वर में मुखरित हो पाते हो !
शब्दों  में  कहाँ समाते हो ? 
मैं     हँसूं   ,   हँसी में  हँस जाते   
बन घन नैना छलकाते  हो !
सपनों से  भर  जाते    कैसे   
 ये सूना  -सा ,पलक- निलय मेरा  !!

क्यों  विकल कर जाता  मन को
अरूप , अनाम   सा ये  नाता ?
जैसे  भाये  तुम   अनायास
कहाँ  यूँ   मन को कोई  भाता ?
पा तुम्हें    सब कुछ भूल गया है  
  बौराया    ह्रदय मेरा !!

 पुलकित  सी इस प्रीत - प्रांगण में
हो कर निर्भय मैं  विचरूँ ?
भर विस्मय में  तुम्हें  निहारूं 
रज बन पथ में बिखरूं ;
हुई खुद से अपरिचित सी मैं -
यूँ तुझमें  हुआ विलय मेरा !! 
 
क्या   तुमसे लिखूँ परिचय मेरा ?  
 तुम  पावन स्नेह प्रश्रय मेरा !!! 

चित्र और विषय -- पांच लिंकों से साभार |
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