सुन जोगन हुए किसके जोगी ?
ये व्यर्थ लगन मत मन कर रोगी !
पग जोगी के काल का फेरा
एक जगह कहाँ उसका डेरा ?
कहीं दिन तो कहीं रात बिताये -
बादल सा उड़ लौट ना आये !
झूठा अपनापन जोगी का,
तन उजला ,मैला मन जोगी का !
मत सजा ये मिथ्या सपने,
बेगाने कब हुये हैं अपने ??
क्यों ले जीवन भर का रोना
ना जोगी ने तेरा होना !
जिसने जोगी संग प्रीत लगायी -
करी विरह के संग सगाई !!
पग जोगी के काल का फेरा
एक जगह कहाँ उसका डेरा ?
कहीं दिन तो कहीं रात बिताये -
बादल सा उड़ लौट ना आये !
झूठा अपनापन जोगी का,
तन उजला ,मैला मन जोगी का !
मत सजा ये मिथ्या सपने,
बेगाने कब हुये हैं अपने ??
क्यों ले जीवन भर का रोना
ना जोगी ने तेरा होना !
जिसने जोगी संग प्रीत लगायी -
करी विरह के संग सगाई !!