मेरी प्रिय मित्र मंडली

रविवार, 26 मई 2019

अव्यवस्था के अग्नि कुण्ड में --- सूरत अग्नि काण्ड पर


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मौसम आयेंगे  -जायेंगे पर ,
वे   वापस  ना आयेंगे । 
 घर आँगन  में  नौनिहाल,
 अब ना खिलखिलाएँगे । 
 
गर्म हवा से भी  न कभी ,
 छूने  दिया था जिन्हें ,
सोच ना था , 
अव्यवस्था के अग्नि  - कुंड  
उन्हें  भस्म  कर  जाएँगे । 

जीने की खातिर   जिन्होंने, 
लड़ी  जंग  आखिरी दम तक 
कब वो मन की आँखों से । 
 ओझल हो पायेंगे ? 

रंग हुए फीके होली के, 
खो गयी ख़ुशी दीवाली  की । 
बुझे   आँगन के दीप ,
कैसे जश्न मन  पाएँगे ?

हर आहट पे   होगा भ्रम , 
आँखों के तारों  के आने का ,
 मानो  कहीं से  जिगर के टुकड़े 
  आ गले लग जायेंगे   
 


 
श्रुपूरित  नमन   उन  सुकुमार नौनिहालों जो जीने की  खातिर  आखिरी साँस तक लड़े !!!!!!!

विशेष रचना

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