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शनिवार, 25 अगस्त 2018

भैया तुम हो अनमोल ! ---कविता --

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जग में हर वस्तु का मोल 
पर भैया तुम हो अनमोल  !

रहे हमेशा कायम तू 
माँगूं यही  विधाता से  , 
तुम सा कहाँ कोई  स्नेही -सखा मेरा  
मेरा  तो  गाँव तेरे दम से ;
सुख- दुःख  साझा  कर  लूँ अपना  
रख   दूँ  तेरे  आगे मन  खोल !!

बचपन में जब तुमने गिर -गिर  
 जब ऊँगली पकड चलना सीखा ,
 नीलगगन  में चंदा भी  
  तेरे आगे   लगता  फ़ीका ;
 धरती पर  मानों  देव  उतरे  
 सुनकर तेरे तुतलाते बोल !

 बाबुल की बैठक की तुम शोभा 
 तुमसे  माँ का उजला  अँगना ,
 भाभी की  माँग सजी तुमसे 
 हो तुम उसकी प्रीत का गहना ,
 ना   धन मेरा 
तुमसे बढ़कर 
 चाहे जग दे तराजू  तोल ! 

लेकर राखी के दो तार ,
 आऊँ स्नेह का पर्व मनाने ,
 घूमूँबचपन की गलियों में  
 पीहर   देखूँ तेरे बहाने ,
 बहना   माँगे प्यार तेरा बस 
 ना  माँगे राखी का मोल !
जग में हर वस्तु का मोल 
पर भैया तुम हो अनमोल  !

 
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