जग में हर वस्तु का मोल
पर भैया तुम हो अनमोल !
रहे हमेशा कायम तू
माँगूं यही विधाता से ,
तुम सा कहाँ कोई स्नेही -सखा मेरा
मेरा तो गाँव तेरे दम से ;
सुख- दुःख साझा कर लूँ अपना
रख दूँ तेरे आगे मन खोल !!
बचपन में जब तुमने गिर -गिर
जब ऊँगली पकड चलना सीखा ,
नीलगगन में चंदा भी
तेरे आगे लगता फ़ीका ;
धरती पर मानों देव उतरे
सुनकर तेरे तुतलाते बोल !
बाबुल की बैठक की तुम शोभा
तुमसे माँ का उजला अँगना ,
भाभी की माँग सजी तुमसे
हो तुम उसकी प्रीत का गहना ,
ना धन मेरा तुमसे बढ़कर
चाहे जग दे तराजू तोल !
लेकर राखी के दो तार ,
आऊँ स्नेह का पर्व मनाने ,
घूमूँबचपन की गलियों में
पीहर देखूँ तेरे बहाने ,
बहना माँगे प्यार तेरा बस
ना माँगे राखी का मोल !
माँगूं यही विधाता से ,
तुम सा कहाँ कोई स्नेही -सखा मेरा
मेरा तो गाँव तेरे दम से ;
सुख- दुःख साझा कर लूँ अपना
रख दूँ तेरे आगे मन खोल !!
बचपन में जब तुमने गिर -गिर
जब ऊँगली पकड चलना सीखा ,
नीलगगन में चंदा भी
तेरे आगे लगता फ़ीका ;
धरती पर मानों देव उतरे
सुनकर तेरे तुतलाते बोल !
बाबुल की बैठक की तुम शोभा
तुमसे माँ का उजला अँगना ,
भाभी की माँग सजी तुमसे
हो तुम उसकी प्रीत का गहना ,
ना धन मेरा तुमसे बढ़कर
चाहे जग दे तराजू तोल !
लेकर राखी के दो तार ,
आऊँ स्नेह का पर्व मनाने ,
घूमूँबचपन की गलियों में
पीहर देखूँ तेरे बहाने ,
बहना माँगे प्यार तेरा बस
ना माँगे राखी का मोल !
जग में हर वस्तु का मोल
पर भैया तुम हो अनमोल !
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पर भैया तुम हो अनमोल !
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