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शनिवार, 22 दिसंबर 2018

दो परियां ये आसमान की ---- कविता -

दो परियां ये आसमान की
मेरी दुनिया में आई हैं ,
सफल दुआ जीवन की कोई 
स्नेह की शीतल पुरवाई है  !

 लौट आया है दोनों संग 
वो  भूला- सा बचपन मेरा ;
 निर्मल  मुस्कान से चहक उठा  
ये सूना सा आँगन मेरा ,
एक शारदा - एक लक्ष्मी सी  
पा   मेरी ममता इतराई है !

समय को लगे पंख मेरे 
तुममें  खो सुध-बुध बिसराऊँ मैं  
जरा मुख मुरझाये तुम्हारा   ,
तो विचलित सी हो  जाऊँ मैं ;
तुम्हारी आँख से छलके आंसूं ;
तो आँख  मेरी भी भर आई है !!

 दोनों मेरी परछाई -सी  
मेरा ही रूप साकार हो तुम,
मैं तुम में -तुम दोनों मुझमें   
मेरी ख़ुशी का असीम विस्तार हो तुम
मेरे  नैनों  की ज्योति तुम  
 प्राणों में दोनों समाई हैं !!

हो सफल जीवन में बनना 
मेरे संस्कार पहचान तुम , 
मैं वारूँ  नित ममता अपनी 
छूना सपनों का असमान तुम  ,
डगमगाए ना ये नन्हें  कदम  
मेरी  बाँहें   पर्वत बन आई है ! 

दो परियां ये आसमान की
मेरी दुनिया में आई हैं ,
सफल दुआ जीवन की कोई -
स्नेह की शीतल पुरवाई है !! 

सन्दर्भ --- दो प्यारी बेटियों की माँ के गर्व को समर्पित पंक्तियाँ--

विशेष रचना

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