दो परियां ये आसमान की
मेरी दुनिया में आई हैं ,
सफल दुआ जीवन की कोई
स्नेह की शीतल पुरवाई है !
लौट आया है दोनों संग
वो भूला- सा बचपन मेरा ;
निर्मल मुस्कान से चहक उठा
ये सूना सा आँगन मेरा ,
एक शारदा - एक लक्ष्मी सी
पा मेरी ममता इतराई है !
समय को लगे पंख मेरे
तुममें खो सुध-बुध बिसराऊँ मैं
जरा मुख मुरझाये तुम्हारा ,
तो विचलित सी हो जाऊँ मैं ;
तुम्हारी आँख से छलके आंसूं ;
तो आँख मेरी भी भर आई है !!
दोनों मेरी परछाई -सी
मेरा ही रूप साकार हो तुम,
मैं तुम में -तुम दोनों मुझमें
मेरी ख़ुशी का असीम विस्तार हो तुम
मेरे नैनों की ज्योति तुम
प्राणों में दोनों समाई हैं !!
हो सफल जीवन में बनना
मेरे संस्कार पहचान तुम ,
मैं वारूँ नित ममता अपनी
छूना सपनों का असमान तुम ,
डगमगाए ना ये नन्हें कदम
मेरी बाँहें पर्वत बन आई है !
दो परियां ये आसमान की
मेरी दुनिया में आई हैं ,
सफल दुआ जीवन की कोई -
स्नेह की शीतल पुरवाई है !!
सन्दर्भ --- दो प्यारी बेटियों की माँ के गर्व को समर्पित पंक्तियाँ--