प्रेम - पगे मन से आ मिल कर
इक अमर - गीत लिखें हम -तुम !
हार के भी सदा जीती है
जग में प्रीत लिखें हम - तुम !
तन पर अनगिन जख्म सहे
तब जाकर साकार हुई ,
मंदिर में रखी मूर्त यूँ हुई
पूज्य -पुनीत लिखें हम -तुम !
हार के भी सदा जीती है -
जग में प्रीत लिखे हम तुम !
तब जाकर साकार हुई ,
मंदिर में रखी मूर्त यूँ हुई
पूज्य -पुनीत लिखें हम -तुम !
हार के भी सदा जीती है -
जग में प्रीत लिखे हम तुम !
जो उलझ गई तूफानों से
वो भवसागर से पार हुई ,
उल्टी लहरों पर कश्ती ने
रचा जीवन - संगीत लिखें हम- तुम !
हार के भी सदा जीती है
जग में प्रीत लिखे हम तुम !!
वो भवसागर से पार हुई ,
उल्टी लहरों पर कश्ती ने
रचा जीवन - संगीत लिखें हम- तुम !
हार के भी सदा जीती है
जग में प्रीत लिखे हम तुम !!
जब राह ना मिलती इस जग से
तो चुनके राह सितारों की ,
मिलते जीवन के पार कहीं
वो मन के मीत लिखें हम -तुम !!
हार के भी सदा जीती है
जग में प्रीत लिखे हम तुम !!
तो चुनके राह सितारों की ,
मिलते जीवन के पार कहीं
वो मन के मीत लिखें हम -तुम !!
हार के भी सदा जीती है
जग में प्रीत लिखे हम तुम !!