मेरी प्रिय मित्र मंडली

मंगलवार, 11 जनवरी 2022

सब गीत तुम्हारे हैं


 




तुम्हारी यादों की  मृदुल
 छाँव में  बैठ सँवारे  हैं 
मेरे पास कहाँ कुछ था
 सब गीत तुम्हारे हैं |


मनअम्बर पर टंका हुआ है,
ढाई  आखर  प्रेम  तुम्हारा।
थके  प्राणों का  संबल  जो,
पग - पग  पे  करता उजियारा।
हुए निहाल  निहार तुम्हें,
बिसरे दुःख सारे हैं!

सराबोर हैं आत्मरस से ,
ये जो छंद अनोखे हैं ।
तुमसे ही जीवनसार मिला,
शेष दावे सब थोथे है!
वही पल बस लगते अपने,
जो साथ गुजारे हैं!


तुम आए बदल गयी  दुनिया  
खुली पोटली सपनों की ,
सतरंगी आभा से सजे
बदली है भाषा नयनों की!
नये गगन में मनपाखी ने
 पंख पसारे हैं !

प्रीतनगर की इन गलियों से, 
अब तक तो अनजान थे हम।
अब कहीं जाकर मिला बसेरा,
कब किस दिल के मेहमान थे हम।
सालों मनचले सपनों ने ,  
ये  पथ खूब निहारे हैं!


तुम्हारी यादों की  मृदुल
 छाँव में  बैठ सँवारे  हैं 
मेरे पास कहाँ कुछ था
 सब गीत तुम्हारे हैं |

विशेष रचना

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