तुम्हारी यादों की मृदुल
छाँव में बैठ सँवारे हैं
मेरे पास कहाँ कुछ था
मेरे पास कहाँ कुछ था
सब गीत तुम्हारे हैं |
मनअम्बर पर टंका हुआ है,
ढाई आखर प्रेम तुम्हारा।
थके प्राणों का संबल जो,
ढाई आखर प्रेम तुम्हारा।
थके प्राणों का संबल जो,
पग - पग पे करता उजियारा।
हुए निहाल निहार तुम्हें,
बिसरे दुःख सारे हैं!
सराबोर हैं आत्मरस से ,
ये जो छंद अनोखे हैं ।
तुमसे ही जीवनसार मिला,
शेष दावे सब थोथे है!
वही पल बस लगते अपने,
जो साथ गुजारे हैं!
तुम आए बदल गयी दुनिया
खुली पोटली सपनों की ,
खुली पोटली सपनों की ,
सतरंगी आभा से सजे
बदली है भाषा नयनों की!
नये गगन में मनपाखी ने
नये गगन में मनपाखी ने
पंख पसारे हैं !
प्रीतनगर की इन गलियों से,
अब तक तो अनजान थे हम।
अब कहीं जाकर मिला बसेरा,
कब किस दिल के मेहमान थे हम।
सालों मनचले सपनों ने ,
ये पथ खूब निहारे हैं!
तुम्हारी यादों की मृदुल
छाँव में बैठ सँवारे हैं
मेरे पास कहाँ कुछ था
सब गीत तुम्हारे हैं |