
बादल संग आंखमिचौली खेले --
पूरा चाँद सखी फागुन का-- !
संग जगमग तारे -
लगें बहुत ही प्यारे ;
सजा है आँगन आज गगन का !!
सखी ! दूध सा चन्दा --
दे मन आनंदा ;
हरमन भाये ये समां पूनम का !!
कोई फगुवा गाये --
तो पीहर याद आए ;
झर - झर नीर बहे नयनन का !!
सखी ! अपलक निहारूँ --
मैं तन - मन वारूँ ;
चाँद लगे साथी कोई बचपन का !!!!!!!!!!!
चित्र ---- गूगल से साभार
चित्र ---- गूगल से साभार
कृष्ण राघव
15 फरवरी 2017