जब हम तुमसे ना मिले थे ,
कब मन के बसंत खिले थे ?
चाँद ना था चमकीला इतना ?
कब महके मन के वीराने थे ?
पल प्रतीक्षा के भी साथी
कहाँ इतने सुहाने थे ?
रुके थे निर्झर पलकों में ,
ना मधुर अश्कों में ढले थे
जब हम तुमसे न मिले थे !!
जो ख़ुशी मिली तुमसे
उसे किधर ढूंढने जाते ?
ले अधूरी हसरतें यूँ ही -
दुनिया से चले जाते ,
खुशियों से तो इस दिल के
मीलों के फासले थे
जब हम तुमसे ना मिले थे !!
सब कुछ था पास मेरे
फिर भी कुछ ख्वाब अधूरे थे ,
जो तुम संग बाँटे,
मन के संवाद अधूरे थे ;
जीवन से ओझल साथी
ये उमंगों के सिलसिले थे
जब हम तुमसे ना मिले थे !!!!!!!
सब कुछ था पास मेरे
फिर भी कुछ ख्वाब अधूरे थे ,
जो तुम संग बाँटे,
मन के संवाद अधूरे थे ;
जीवन से ओझल साथी
ये उमंगों के सिलसिले थे
जब हम तुमसे ना मिले थे !!!!!!!
चित्र -- गूगल से साभार |