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शुक्रवार, 2 फ़रवरी 2018

जब हम तुमसे ना मिले थे - नवगीत

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 जब हम  तुमसे  ना मिले थे ,
 कब  मन के बसंत खिले थे  ?

चाँद ना था  चमकीला   इतना ?
 कब महके मन के   वीराने थे ?
 पल प्रतीक्षा के भी   साथी 
 कहाँ  इतने   सुहाने  थे ?
 रुके थे निर्झर पलकों   में  ,
 ना मधुर  अश्कों में ढले थे  
  जब हम तुमसे न मिले थे !!

जो  ख़ुशी  मिली तुमसे 
 उसे  किधर ढूंढने  जाते ?
 ले अधूरी  हसरतें यूँ ही -
 दुनिया से  चले जाते  , 
खुशियों से तो इस दिल के 
 मीलों के फासले थे 
 जब  हम तुमसे ना मिले थे !!

सब  कुछ  था पास   मेरे 
फिर भी कुछ ख्वाब  अधूरे थे ,
 जो तुम संग बाँटे,
 मन के संवाद अधूरे थे  ;
 जीवन  से ओझल    साथी 
ये उमंगों के  सिलसिले थे
जब हम तुमसे ना मिले थे !!!!!!!
  चित्र -- गूगल से साभार |

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