सुन जोगन हुए किसके जोगी ,
ये व्यर्थ लगन मत मन कर रोगी ।
पग जोगी के काल का फेरा,
एक जगह कहाँ उसका डेरा ।
कहीं दिन तो कहीं रात बिताये ,
बादल सा उड़ लौट ना आये ।
झूठा अपनापन जोगी का, तन उजला ,मैला मन जोगी का ।
मत सजा ये मिथ्या सपने,
बेगाने कब हुये हैं अपने ?
क्यों ले जीवन भर का रोना,
ना जोगी ने तेरा होना ।
जिसने जोगी संग प्रीत लगायी ,
करी विरह के संग सगाई ।
पग जोगी के काल का फेरा,
एक जगह कहाँ उसका डेरा ।
कहीं दिन तो कहीं रात बिताये ,
बादल सा उड़ लौट ना आये ।
झूठा अपनापन जोगी का,
बेगाने कब हुये हैं अपने ?
क्यों ले जीवन भर का रोना,
ना जोगी ने तेरा होना ।
जिसने जोगी संग प्रीत लगायी ,
करी विरह के संग सगाई ।