उड़ चली धूल सी!!
रूह से लिपटी जाय
तनिक विलग ना होती,
रखूं इसे संभाल
जैसे सीप में मोती ;
सिमटी इसके बीच
दर्द हर चली भूल -सी !!
होऊँ जरा उदास
मुझे हँस बहलाए,
हो जो इसका साथ
तो कोई साथ न भाये ,
जाए पल भर ये दूर
हिया में चुभे शूल - सी !!
तुम नहीं हो जो पास
तो सही याद तुम्हारी ,
रहूं मगन मन बीच
चढी ये अजब खुमारी ;
बना प्यार मेरा अभिमान
गर्व में रही फूल सी !!
मन कंटक वन में
याद तुम्हारी
खिली फूल सी !!!!
रूह से लिपटी जाय
तनिक विलग ना होती,
रखूं इसे संभाल
जैसे सीप में मोती ;
सिमटी इसके बीच
दर्द हर चली भूल -सी !!
होऊँ जरा उदास
मुझे हँस बहलाए,
हो जो इसका साथ
तो कोई साथ न भाये ,
जाए पल भर ये दूर
हिया में चुभे शूल - सी !!
तुम नहीं हो जो पास
तो सही याद तुम्हारी ,
रहूं मगन मन बीच
चढी ये अजब खुमारी ;
बना प्यार मेरा अभिमान
गर्व में रही फूल सी !!
मन कंटक वन में
याद तुम्हारी
खिली फूल सी !!!!
स्वरचित -रेणु
चित्र---गूगल से साभार --