
हँसो फूलो -- खिलो फूलो
डाल-डाल पर झूलो फूलो !
उतरा फागुन मास धरा पर -
हर रंग ,रंग झूमों फूलो !!
गलियों में सुगंध फैलाओ,
भवरों पर मकरंद लुटाओ ;
भेजो आमन्त्रण तितली को -
''कि बूंद - बूंद रस पी लो'' फूलो ! !
हँसो के नीम -आम बौराएँ -
खिलो के कोकिल तान चढ़ाए ,
महको , महके रात संग तुम्हारे
घुल पवन संग अम्बर छूलो -फूलो !!
बासंती अनुराग जगाओ ,
सोये प्रीत के राग जगाओं ;
हँसो !हँसे नैना गोरी के -
साजन संग इन्हें पिरो लो फूलो !!
धरा परिधान सजाये बहुरंगी,
नभ इन्द्रधनुष सा हो सतरंगी ;
तुमसे सब रंग सजे सृष्टि में
ये इक बात ना भूलो ! फूलो !!
हँसो !हँसे आँगन की क्यारी ,
खिलो !खिले भोर मतवाली ;
महको ! समय बहुत कम तेरा
कुछ पल में जीवन जी लो फूलो !!
चित्र -------- गूगल से साभार |
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