सुना है हिमालय हो तुम !
शिव के तुम्हीं कैलाश हो -
चित्र ------- गूगल से साभार -- ----------------------------------------------------------------------------------------
सुदृढ़ , अटल और अविचल
जीवन का विद्यालय हो तुम ! !
शिव के तुम्हीं कैलाश हो -
माँ जगदम्बा का वास हो ,
निर्वाण हो महावीर का
ऋषियों का चिर - प्रवास हो ;
ज्ञान - भक्ति से भरा -
बुद्ध का करुणालय हो तुम ! !
युगों से अजेय हो
वीरों की विजय हो तुम ,
लालसा में शिखर की
साहस का गन्तव्य हो तुम ;
संघर्ष का उत्कर्ष हो
नीति का न्यायालय हो तुम ! !
कवियों का मधुर गान हो
मुरली की मीठी तान हो ,
शीतल उच्छवास सृष्टि का
राष्ट्र का अभिमान हो ;
नभ के संदेशे बांटता -
मेघों का पत्रालय हो तुम ! !
हिम - शिखरों से सजा
माँ भारत का उन्नत भाल हो ,
टेढ़ी नजर से ताकते
शत्रु का महाकाल हो ;
बसा भारत कण -कण में जिसके
कश्मीर से मेघालय हो तुम ! !
सुदृढ़ , अटल और अविचल -
जीवन का विद्यालय हो तुम ! !
सुना है हिमालय हो तुम !!!
अनमोल टिप्पणी -- गूगल से साभार --
जननी के हिम किरीट की अभ्यर्थना में गाये गए गीत की भाषा भी सागरमाथा की तरह दिव्य , विराट! आपकी लेखनी से भाव प्रवणता उसी कल कल गति से प्रवाहित हो रही है जैसे हिमालय की गोद से निःसृत गंगा! आपकी लेखनी की प्रांजलता अमर हो. बधाई!