🌷🌷सभी साहित्य प्रेमियों को बसन्त पंचमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं🙏🙏🌷🌷🙏🙏
मां सरस्वती, मैं सुता तुम्हारी ,
हूँ हीन छंद , रस, अलंकार से माँ !
फिर भी भर दी गीतों से झोली
ना भेजा खाली निज द्वार से माँ !
हाथ उठा ना माँगा कुछ तुमसे
बैठ कभी ना ध्याया माँ ,
पर वंचित ना रखा तुमने
करुणा के उपहार से माँ !
रहे शुद्धता मन ,वाणी ,कर्म में
रखना निष्पक्ष कवि -धर्म मेरा .
भावों में रहे सदा शुचिता
दूर रहूँ अहंकार से माँ !
संवाहक बनूँ सद्भावों की
रचूँ प्रेम के भाव अमिट,
भर बुद्धि -ज्ञान के दर्प-गर्व में
बचूँ व्यर्थ की रार से माँ !
यही आंकाक्षा मन में मेरे
रहूँ बन प्रिय संतान तुम्हारी !
ग्लानि कोई ना शेष हो भीतर
जब जाऊँ संसार से माँ !
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