सुनो ! सखा,
ले नेह - तूलिका
रंग दो मन की कोरी चादर,
हरे ,गुलाबी , लाल , सुनहरी
रंग इठलायें जिस पर खिलकर !
सजे सपने इन्द्रधनुष के
नीड- नयन से मैं निहारूं
सतरंगी आभा पर इसकी
मैं तन -मन अपना वारूँ,
बहें नैन ,जल -कोष सहेजे
मुस्काऊँ ,नेह अनंत पलक भर !!
स्नेहिल सन्देश तुम्हारे
नित शब्दों में तुमसे मिल लूं,
यादों के गलियारे भटकूँ
फिर से बीता हर पल जी लूं ;
डूबूं आकंठ उन घड़ियों में
दुनिया की हर सुध बिसराकर !
अनंत मधु मिठास रचो तुम
आहत मन की आस रचो तुम,
रचो प्रीत- उत्सव कान्हा बन
जीवन का मधुमास रचो तुम ,
रंग दो मन की कोरी चादर,
हरे ,गुलाबी , लाल , सुनहरी
रंग इठलायें जिस पर खिलकर !
सजे सपने इन्द्रधनुष के
नीड- नयन से मैं निहारूं
सतरंगी आभा पर इसकी
मैं तन -मन अपना वारूँ,
बहें नैन ,जल -कोष सहेजे
मुस्काऊँ ,नेह अनंत पलक भर !!
स्नेहिल सन्देश तुम्हारे
नित शब्दों में तुमसे मिल लूं,
यादों के गलियारे भटकूँ
फिर से बीता हर पल जी लूं ;
डूबूं आकंठ उन घड़ियों में
दुनिया की हर सुध बिसराकर !
अनंत मधु मिठास रचो तुम
आहत मन की आस रचो तुम,
रचो प्रीत- उत्सव कान्हा बन
जीवन का मधुमास रचो तुम ,
खिलो कंवल बन मानसरोवर
सजो अधर चिर हास तुम बनकर !!
चित्र -- पञ्च लिंकों से साभार --
===============================================
सजो अधर चिर हास तुम बनकर !!
चित्र -- पञ्च लिंकों से साभार --
===============================================
धन्यवाद शब्दनगरी -------
| |||