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'पावन , निर्मल प्रेम सदा ही -- रहा शक्ति मानवता की , जग में ये नीड़ अनोखा है - जहाँ जगह नहीं मलिनता की ;; मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है |
मेरी प्रिय मित्र मंडली
गुरुवार, 5 अक्तूबर 2017
ओ! शरद पूर्णिमा के शशि नवल !! ----------- कविता ----
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तुम्हारी आभा का क्या कहना !
रजत रश्मियाँ झर - झर झरती ,
ओ!शरद पूर्णिमा के शशि नवल !
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विशेष रचना
आज कविता सोई रहने दो !
आज कविता सोई रहने दो, मन के मीत मेरे ! आज नहीं जगने को आतुर सोये उमड़े गीत मेरे ! ना जाने क्या बात है जो ये मन विचलित हुआ जाता है ! अना...
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