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गुरुवार, 11 मार्च 2021

मन पाखी की उड़ान -- प्रेम गीत ( prem geet)


 

       
 
 
मन पाखी की उड़ान 
तुम्हीं तक मन मीता 
जी का सम्बल तुम एक 
भरते प्रेम घट रीता  !

नित निहारें नैन चकोर 
ना   नज़र में कोई दूजा 
हो तरल बह जाऊं  आज  
सुन मीठे बैन प्रीता !
 
बाहर पतझड़  लाख 
चिर बसंत तुम  मनके 
 सदा गाऊँ तुम्हारे गीत 
 भर - भर  भाव  पुनीता !

 बिन देखे रूह बेचैन 
 हर दिन राह निहारे 
लगे  बरस  - पल  एक 
 साथी !जो  तुम बिन बीता !

 निर्मम   वक़्त की धार 
 ना जाने  किधर मुड़ जाए 
तजो  ,गूढ़ -ज्ञान  व्यापार 
पढो  !आ  प्रेम की गीता ! !

चित्र - गूगल से साभार 
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https://shabd.in/kavita/117097/man-pakhi-ki-udaan-prem-kavita




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