मन पाखी की उड़ान
तुम्हीं तक मन मीता
जी का सम्बल तुम एक
भरते प्रेम घट रीता !
नित निहारें नैन चकोर
ना नज़र में कोई दूजा
हो तरल बह जाऊं आज
सुन मीठे बैन प्रीता !
बाहर पतझड़ लाख
चिर बसंत तुम मनके
सदा गाऊँ तुम्हारे गीत
भर - भर भाव पुनीता !
बिन देखे रूह बेचैन
हर दिन राह निहारे
लगे बरस - पल एक
साथी !जो तुम बिन बीता !
निर्मम वक़्त की धार
ना जाने किधर मुड़ जाए
तजो ,गूढ़ -ज्ञान व्यापार
पढो !आ प्रेम की गीता ! !
चित्र - गूगल से साभार
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