वीर अभिनन्दन ! हार्दिक अभिनन्दन !
तुम्हारे शौर्य को कोटि वन्दन !
पुलकित , गर्वित माँ भारती
तुम्हारे निर्भीक पराक्रम से ,
मृत्यु - भय से हुए ना विचलित
ना चूके संयम से ,
सिंह पुत्र तुम जननी के
सहमा शत्रु नराधम !!
शत्रु भूमि पर जा देखो
मातृभूमि का मान बढ़ाया ,
अर्जित की अखंड कीर्ति
ना पीछे कदम हटाया ,
मान -मर्दन किया पापी का
रहा अडिग हिमालय सा तन !
कोटि नैन बिछे पथ में
स्वागत को आज तुम्हारे ,
एक कुटुंब सा जुटा राष्ट्र
अपलक तुम्हे निहारे ,
तुम्हारा यश रहे अमर जग में
पुकार रहा यही जन - जन !!
स्वरचित -- रेणु
चित्र --गूगल से साभार --