गा रे! कोई ऐसा गीत जोगी ,
बढ़े हर मन में प्रीत जोगी !
जहाँ थी प्यार ठाँव जोगी ;
भूले पनघट के गीत प्यारे
खो गई पीपल की छाँव जोगी ,
बढ़ी दूरी ऐसी मनों में
बिछड़े मन के मीत जोगी !!
बैठ फुर्सत में गाँव टीले
कस सारंगी के तार ढीले ,
छेड़ कोई तान प्यारी
सजें उल्फत के रंग सजीले ;
पनपे प्यार हर दिल में
सुन मस्त संगीत जोगी !
सुना है , तेरी दुआ पुरअसर जोगी
जो जाती खुदा के दर जोगी ,
तू पढ़ कलमा मुहब्बत का
उतरे नफरत का जहर जोगी ;
हारे हर बुरी फितरत
छेड़ कोई तान प्यारी
सजें उल्फत के रंग सजीले ;
पनपे प्यार हर दिल में
सुन मस्त संगीत जोगी !
सुना है , तेरी दुआ पुरअसर जोगी
जो जाती खुदा के दर जोगी ,
तू पढ़ कलमा मुहब्बत का
उतरे नफरत का जहर जोगी ;
हारे हर बुरी फितरत
प्यार की हो जीत जोगी !!
गारे कोई ऐसा गीत जोगी
बढ़े हर मन में प्रीत जोगी ! !
गारे कोई ऐसा गीत जोगी
बढ़े हर मन में प्रीत जोगी ! !